देश की खबरें | महाराष्ट्र: ठाणे में हत्या के 13 साल पुराने मामले में तीन आरोपी बरी

ठाणे, आठ जनवरी ठाणे की एक अदालत ने 2011 के एक हत्या मामले में तीन आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए कहा कि घटनाओं के क्रम के बारे में गवाह के बयान में खामियां हैं।

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस.बी. अग्रवाल ने तीन जनवरी को सुनाए फैसले में अभियोजन पक्ष के सबूतों में कई विसंगतियां उजागर कीं, जिसके कारण आरोपियों को बरी कर दिया गया।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपियों ने 7 जुलाई 2011 को महाराष्ट्र के ठाणे जिले के कलवा में व्यक्तिगत विवाद के चलते इकबाल यासीन पठान पर धारदार हथियार से हमला करके उसकी हत्या कर दी थी।

मृतक के भाई रफीक यासीन पठान की शिकायत के आधार पर पुलिस ने हत्या, गैरकानूनी ढंग से एकत्र होने और अन्य अपराधों के आरोप में पांच लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।

इस मामले के दो आरोपियों को 2012 में बरी कर दिया गया था, जबकि आलमगीर मकबूल शेख (32), चेतन अशोक शिंदे (35) और दशा उर्फ ​​दशरथ भगवान दंडगे (41) के खिलाफ मुकदमे में देरी हुई क्योंकि वे फरार थे।

बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 2016 में मुकदमा फिर से शुरू हुआ। न्यायाधीश अग्रवाल ने शेख, शिंदे और दंडगे को बरी करते हुए अभियोजन पक्ष के मामले में कई विसंगतियों को उजागर किया।

उन्होंने कहा, "एक महत्वपूर्ण गवाह का बयान 10 दिन की देरी के बाद दर्ज किया गया और इस देरी का कोई औचित्य नहीं पाया गया।”

अदालत ने यह भी कहा कि एक गवाह पर चाकू से हमला होने के आरोप सामने आने के बावजूद, "गवाह के बयान के समर्थन में कोई चिकित्सा साक्ष्य नहीं है।"

अदालत ने गवाह के बयान में विसंगतियां पाईं, विशेषकर घटनाओं के क्रम के संबंध में।

अदालत ने यह भी कहा कि गवाह (जिसने हमले का आरोप लगाया था) ने चिकित्सा सहायता नहीं ली, न ही रक्त से सनी शर्ट जैसे भौतिक साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिससे अभियोजन पक्ष का मामला कमजोर हो गया।

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