मुंबई, 15 अप्रैल बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार से इस बारे में विचार करने को कहा कि क्या फंसे हुए प्रवासी कामगार मेडिकल जांच कराने के बाद राज्य के अंदर अपने घर लौट सकते हैं।
न्यायमूर्ति आर. के. देशपांडे ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर प्रवासी कामगारों और दिहाड़ी मजदूरों की दशा के बारे में चिंता जताने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई करने के दौरान यह सुझाव दिया।
अदालत ने कहा कि सरकार ऐसे कामगारों को राज्य के अंदर अपने मूल निवास स्थान पर जाने की इजाजत देने पर विचार कर सकती है क्योंकि यह प्रशासन पर बढ़े भार को कम करेगा।
अदालत ने कहा कि इस तरह की यात्रा की इजाजत देने से पहले मेडिकल जांच की जा सकती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे संक्रमित नहीं हैं और ग्रामीण इलाकों में उनसे संक्रमण नहीं फैलेगा, जो अभी कुल मिला कर अप्रभावित है।
न्यायाधीश ने कहा कि जिला स्तरीय समितियां पानी, भोजन, आश्रय और अन्य सुविधाओं के बारे में फंसे हुए प्रवासी कामगारों और दिहाड़ी मजदूरों की शिकायतों को सुनेगी।
अदालत ने इस बात का जिक्र किया कि राज्य सरकार को सर्वेक्षण करना होगा और राज्य में फंसे इस तरह के प्रवासी कामगारों की सूची तैयार करनी होगी।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘कोविड-19 सिर्फ इसी देश तक सीमित नहीं है बल्कि यह महामारी समूची दुनिया में फैल गया है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘प्रवासी कामगारों एवं मजदूरों का एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवास के मुद्दे का समाधान केंद्र सरकार को राज्य सरकार से परामर्श कर करना होगा और यह माननीय प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन से ज्ञात हुआ है। ’’
न्यायमूर्ति देशपांडे ने कहा, ‘‘बेशक, फंसे हुए कुछ कामगार समस्याओं का सामना कर रहे हैं, लेकिन जब तक कोई सर्वेक्षण नहीं हो जाता और राज्य सरकार या केंद्र सरकार कोई उपयुक्त फैसला नहीं करती, कोई सकारात्मक निर्देश जारी करना संभव नहीं है।’’
अदालत इस विषय की अगली सुनवाई चार मई को करेगी।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)