देश की खबरें | मप्र उच्च न्यायालय ने कब्रिस्तान की विवादित जमीन को लेकर वक्फ न्यायाधिकरण का आदेश रद्द किया

इंदौर, 28 नवंबर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने देवास में 17,903 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में फैली विवादित जमीन को लेकर राज्य वक्फ न्यायाधिकरण का नौ महीने पुराना आदेश निरस्त कर दिया है।

भोपाल स्थित न्यायाधिकरण ने 19 फरवरी के इस आदेश में प्रशासन को विवादित जमीन पर लगाया गया ताला खोलने के लिए कहा था। कब्रिस्तान का प्रबंधन करने वाली समिति इस जमीन के "वक्फ संपत्ति" होने का दावा कर रही है, जबकि प्रदेश सरकार के मुताबिक राजस्व रिकॉर्ड में इस भूमि के तीन खसरा क्रमांकों में से एक हिस्सा ईसाई कब्रिस्तान और दूसरा हिस्सा हिंदुओं के श्मशान के रूप में दर्ज है।

उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति गजेन्द्र सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलों पर गौर के बाद राज्य वक्फ न्यायाधिकरण का आदेश कानूनी प्रावधानों की रोशनी में 25 नवंबर को निरस्त कर दिया। उच्च न्यायालय ने न्यायाधिकरण को निर्देश दिया कि वह विवादित जमीन के मामले में दोनों पक्षों को सुनकर लम्बित अर्जी को जल्द से जल्द निपटाए।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि दोनों पक्ष चाहें, तो वे विवादित जमीन से जुड़ी तस्वीरें और नवीनतम वैज्ञानिक तकनीक के जरिये उपलब्ध सामग्री न्यायाधिकरण के सामने पेश कर सकते हैं।

कब्रिस्तान समिति की ओर से राज्य वक्फ न्यायाधिकरण के सामने अर्जी दायर कर अनुरोध किया गया था कि शहर के रेलवे स्टेशन के पास खसरा क्रमांक 83, 84 और 85 की 17,903 वर्ग मीटर जमीन पर फैले कब्रिस्तान को वक्फ संपत्ति घोषित किया जाए।

इस मामले में राज्य वक्फ न्यायाधिकरण ने देवास के अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओ) को 19 फरवरी को आदेश दिया था कि कब्रिस्तान के दरवाजे पर लगाया गया ताला खोला जाए। यह ताला 13 जनवरी को एक जनाजे को लेकर हुए विवाद के बाद लगाया गया था।

प्रदेश सरकार ने न्यायाधिकरण के इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका में ताला खोलने के संबंध में कब्रिस्तान समिति को दी गई राहत को दीवानी प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के प्रावधानों के मुताबिक चुनौती दी गई थी।

याचिका में प्रदेश सरकार ने राजस्व रिकॉर्ड के हवाले से यह भी कहा कि खसरा क्रमांक 83 ईसाई समुदाय के कब्रिस्तान और खसरा क्रमांक 84 हिंदू समुदाय के मरघट (श्मशान) के रूप में दर्ज है।

उच्च न्यायालय में प्रदेश सरकार की ओर से दलील दी गई कि अगर विवादित जमीन पर लगे दरवाजे के ताले खोले जाते हैं, तो कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है। उच्च न्यायालय में प्रदेश सरकार की ओर यह भी कहा गया कि देवास में मुस्लिम समुदाय के छह अन्य विशाल कब्रिस्तान हैं जहां शवों को दफनाया जा सकता है।

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