Lung Cancer: फेफड़े के कैंसर से बच सकती है जान, इस नई दवा से 50 फीसदी कम होगा मौत का खतरा

फेफड़े के कैंसर का ट्यूमर निकलवाने की सर्जरी करवाने के बाद एक गोली प्रतिदिन लेने से इस घातक बीमारी से मौत का खतरा आधा रहा जाता है. यह दावा वैश्विक अध्ययन के शुरुआती नतीजों में किया गया है.

Representative Image | Photo: Pixabay

नयी दिल्ली, छह जून: फेफड़े के कैंसर का ट्यूमर निकलवाने की सर्जरी करवाने के बाद एक गोली प्रतिदिन लेने से इस घातक बीमारी से मौत का खतरा आधा रहा जाता है. यह दावा वैश्विक अध्ययन के शुरुआती नतीजों में किया गया है. ‘द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन’ में हाल में प्रकाशित अनुसंधान पत्र के मुताबिक सर्जरी के बाद ‘ओसिमर्टिनिब’ दवा लेने से मरीज की मौत होने का खतरा नाटकीय रूप से 51 प्रतिशत तक कम हो जाता है. Eating Lots Of Sugar: ज्यादा चीनी खाना डायबिटीज ही नहीं इस बीमारी में भी हो सकता है खतरनाक, आज ही छोड़ दें ये आदत.

अध्ययन के दौरान अनुसंधानकर्ताओं ने मरीजों को दो समूहों में बांट दिया और एक समूह को ओसिमर्टिनिब (80 मिलीग्राम प्रतिदिन) और दूसरे समूह को प्रायोगिक औषधि बीमारी दोबारा उभरने तक दी गया.

अनुसंधान पत्र के मुताबिक कुल 682 मरीजों को प्रयोग में शामिल किया गया जिनमें से 339 मरीजों को ओसिमर्टिनिब की दवा दी गई जिसे टैगरिस्सो भी कहते हैं और इसका उत्पादन एस्ट्राजेनिका करती है जबकि 343 रोगियों को प्रायोगिक दवा दी गई.

आबादी के प्राथमिक विश्लेषण में पाया गया कि ओसिमर्टिनिब से उपचार करा रहे 85 रोगी पांच साल तक जीवित रहे जबकि प्रायोगिक दवा से उपचार कराने वालो में यह दर 73 प्रतिशत रही.

वहीं प्रयोग में शामिल जिन मरीजों को ओसिमर्टिनिब दवा दी गई उनमें कुल 88 प्रतिशत पांच साल तक जिंदा रहे जबकि प्रायोगिक दवा लेने वालें 78 प्रतिशत ही इस मानक को पार कर पाए.

अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि दोनों ही प्राथमिक विश्लेषण में सामने आया कि प्रायोगिक दवा के मुकाबले ओसिमर्टिनिब 51 प्रतिशत तक मौत के खतरे को कम कर देती है. परीक्षण के इन नतीजों को सोमवार को शिकागो में आयोजित अमेरिकन सोसाइटी ऑफ क्लीनिकल ओंकोलॉजी के वार्षिक सम्मेलन-2023 के पूर्ण अधिवेशन में पेश किया गया.

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