देश की खबरें | कानून का उल्लंघन कर जमानत देने के निचली अदालत के आदेशों को स्वीकार नहीं किया जा सकता : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 21 मार्च उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि उसके दिशा-निर्देशों और कानून का उल्लंघन कर जमानत देने के निचली अदालत के आदेशों को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

अदालत ने कहा कि ऐसे आदेश पारित करने वाले मजिस्ट्रेट को न्यायिक कार्य से हटाया जा सकता है और उन्हें कौशल विकास के लिए अकादमी में भेजा जा सकता है।

न्यायमूर्ति एस.के. कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने पाया कि उसके समक्ष कुछ आदेश पेश किए गए हैं, जो शीर्ष अदालत द्वारा सुनाए गए आदेश के उल्लंघन में पारित किए गए थे, जो केवल उदाहरण हैं कि जमीनी हालात कैसे हैं।

पीठ ने कहा कि ऐसा नहीं है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश को निचली अदालतों के संज्ञान में नहीं लाया गया है। उसने कहा कि अब भी ऐसे आदेश पारित किए जा रहे हैं जिनका दोहरा प्रभाव है - ऐसे लोगों को हिरासत में भेजना, जहां ऐसा करने की आवश्यकता नहीं है और जिसके चलते मुकदमों की संख्या बढ़ती जाती है।

पीठ ने कहा, ‘‘यह कुछ ऐसा है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता और हमारे विचार में, यह सुनिश्चित करना उच्च न्यायालयों का कर्तव्य है कि उनकी देखरेख में अधीनस्थ न्यायपालिका देश के कानून का पालन करे।’’

अदालत ने कहा, ‘‘यदि कुछ मजिस्ट्रेट द्वारा इस तरह के आदेश पारित किए जा रहे हैं, तो उनसे न्यायिक कार्य वापस लिया जा सकता है और ऐसे मजिस्ट्रेट को उनके कौशल विकास के लिए न्यायिक अकादमी में भेजा जाना चाहिए।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि पेश आदेशों में से बड़ी संख्या में ऐसे आदेश उत्तर प्रदेश से हैं।

इसने उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वकील से इस मुद्दे को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के संज्ञान में लाने के लिए कहा ताकि इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी किए जा सकें।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई दो मई के लिए सूचीबद्ध की।

उच्चतम न्यायालय ने अक्टूबर 2021 में पारित अपने आदेश में अदालतों द्वारा जमानत दिए जाने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसने इस मुद्दे पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू और वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा द्वारा दिए गए सुझावों को स्वीकार किया था।

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