नई दिल्ली: लोकसभा (Lok Sabha) ने सोमवार को निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 (Election Laws (Amendment) Bill 2021) को मंजूरी प्रदान कर दी. इसमें मतदाता सूची (Voter List) में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता पहचान कार्ड (Voter ID Card) और सूची को आधार कार्ड (Aadhar Card) से जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने बुधवार को चुनाव सुधारों से जुड़े इस विधेयक के मसौदे को अपनी मंजूरी दी थी. इस विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता कार्ड (Voter Card) और सूची को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा. Loksabha Election 2019- अमित शाह आज गाजीपुर के दौरे पर, कमल ज्योति संकल्प महाअभियान की करेंगे शुरुआत
विधेयक के मुताबिक, चुनाव संबंधी कानून को सैन्य मतदाताओं के लिए लैंगिक निरपेक्ष बनाया जाएगा. वर्तमान चुनावी कानून के प्रावधानों के तहत, किसी भी सैन्यकर्मी की पत्नी को सैन्य मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की पात्रता है लेकिन महिला सैन्यकर्मी का पति इसका पात्र नहीं है. प्रस्तावित विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने पर स्थितियां बदल जाएंगी.
विधेयक के उद्दश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि निर्वाचन सुधार एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है. केंद्र सरकार समय समय पर विभिन्न क्षेत्रों से चुनाव सुधार हेतु प्रस्ताव प्राप्त कर रही है जिसमें भारत का निर्वाचन आयोग भी शामिल है. निर्वाचन आयोग के प्रस्तवों के आधार पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के उपबंधों में संशोधन करने का प्रस्ताव है.
इसी के अनुरूप, निर्वाचन विधि संशोधन विधेयक 2021 प्रस्तावित किया गया है. इसमें प्रस्ताव किया गया है कि एक ही व्यक्ति के विभिन्न स्थानों पर बहु नामांकन की बुराई को नियंत्रित करने के लिये आधार प्रणाली के साथ निर्वाचक नामावली डाटा को संबंद्ध करने के उद्देश्य से लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 23 का संशोधन करने का उपबंध किया गया है.
इसके साथ ही निर्वाचक नामावलियों को तैयार करने या उनकी पुनरीक्षण करने के संबंध में कट आफ तारीखों के रूप में किसी कैलेंडर वर्ष में एक जनवरी, एक अप्रैल, एक जुलाई और एक अक्टूबर को शामिल करने के लिये लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 14 के खंड (ख) का संशोधन करने की बात कही गई है.
निर्वाचन आयोग पात्र लोगों को मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति देने के लिए कई ‘कट ऑफ तारीख’ की वकालत करता रहा है. आयोग ने सरकार से कहा था कि एक जनवरी की ‘कट ऑफ तिथि’ के कारण मतदाता सूची की कवायद से अनेक युवा वंचित रह जाते हैं. केवल एक ‘कट ऑफ तिथि’ होने के कारण दो जनवरी या इसके बाद 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले व्यक्ति पंजीकरण नहीं करा पाते थे और उन्हें पंजीकरण कराने के लिए अगले वर्ष का इंतजार करना पड़ता था.
विधि एवं न्याय संबंधी संसदीय समिति द्वारा संसद के जारी शीतकालीन सत्र में हाल में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि विधि मंत्रालय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 14-ख में संशोधन करना चाहता है. इस संशोधन में मतदाता पंजीकरण के लिए हर वर्ष चार ‘कट ऑफ तिथियों का प्रस्ताव किया गया था.
विधेयक के दस्तावेज के अनुसार, कानूनों को लिंग निरपेक्ष बनाने के लिये ‘पत्नी’ शब्द को पति या पत्नी से प्रतिस्थापित करने के लिये लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 20 तथा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 60 का संशोधन करने का प्रावधान किया गया है.
इसमें कहा गया है कि मतदान केंद्र के रूप में प्रयोग होने वाले, मतदान के बाद गणना, मतपेटियों, वोटिंग मशीनों एवं मतदान संबंधी सामग्रियों के भंडारण के लिये प्रयोग में आने वाले परिसरों को समर्थ बनाने के संबंध में प्रावधान किया गया है.
गौरतलब है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 अन्य बातों के साथ लोकसभा और राज्यों के विधान मंडलों में स्थानों के आवंटन और उनके लिये निर्वाचनों के प्रयोजनार्थ निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन, मतदाताओं के अर्हताओं, निर्वाचक नामावलियों की तैयारी आदि का उपबंध करता है.
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 अन्य बातों के साथ संसद के सदनों और हर एक राज्य के विधान मंडल के सदनों के लिये निर्वाचनों के संचालन के लिये सदनों की सदस्यता पात्रता एवं अयोग्यता एवं भ्रष्ट आचरणों, अपराधों आदि का उपबंध करता है.
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