नयी दिल्ली, 17 मार्च लोकसभा चुनाव कराना एक वृहद प्रक्रिया होती है जिसमें पूरे भारत में यह सुनिश्चित करने के लिए जलमार्ग, वायु और जमीनी मार्ग से कर्मियों और सामग्री की आवाजाही होती है कि कोई भी मतदाता छूट न जाए। यह शांतिकाल में कर्मियों और सामग्री की सबसे बड़ी आवाजाही होती है।
यह विशाल लोकतांत्रिक कवायद आयोजित करने के लिए निर्वाचन आयोग कम से कम डेढ़ साल पहले अधिकारियों, चुनाव कर्मियों को प्रशिक्षण देकर और अन्य उपकरणों के अलावा आवश्यक ईवीएम और अमिट स्याही की आपूर्ति में तेजी लाकर चुनाव की तैयारी शुरू कर देता है।
अठारहवीं लोकसभा के लिए चुनाव 19 अप्रैल से शुरू होंगे और उसके बाद 26 अप्रैल, 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को चुनाव होंगे। लोकसभा के 543 निर्वाचन क्षेत्रों में लगभग 97 करोड़ पंजीकृत मतदाता 10.5 लाख मतदान केंद्रों पर अपना मतदान करेंगे।
आयोग के अनुसार, चुनाव के लिए लगभग 1.5 करोड़ मतदान और सुरक्षाकर्मी, लगभग 55 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और चार लाख वाहन तैनात किए जाएंगे।
पिछले साल जून की शुरुआत में, निर्वाचन आयोग ने देश भर में चरणबद्ध तरीके से ईवीएम और पेपर ट्रेल मशीन की "प्रथम स्तर की जांच" शुरू की थी। "मॉक पोल" प्रथम स्तर की जांच (एफएलसी) प्रक्रिया का हिस्सा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राजनीतिक दल मशीन से संतुष्ट हों।
निर्वाचन आयोग ऐसी कवायद के लिए एक कैलेंडर जारी करता है और स्थायी निर्देश हैं, जिनका पालन राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को करना होता है।
एफएलसी के दौरान, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और पेपर ट्रेल मशीन की यांत्रिक खामियों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के दो उपक्रम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंण्डिया लिमिटेड (ईसीआईएल) के इंजीनियर द्वारा जांच की जाती है। सार्वजनिक क्षेत्र के ये उपक्रम इन दोनों उपकरणों का निर्माण करते हैं।
दोषपूर्ण मशीनें मरम्मत या प्रतिस्थापन के लिए निर्माताओं को वापस कर दी जाती हैं। राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में दोनों मशीन की जांच के लिए एक ‘मॉक पोल’ भी आयोजित किया जाता है।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को सत्रों के लिए बुलाया जाता है, जहां वे सर्वोत्तम मानकों को साझा करते हैं और चुनाव प्रबंधन, मतदाता जागरूकता और कदाचार को रोकने में एक-दूसरे के अनुभव से सीखते हैं।
चुनाव प्रबंधन का एक प्रमुख घटक सुरक्षा कर्मियों की तैनाती और ट्रेन, नौका और हेलीकॉप्टर द्वारा उनकी आवाजाही है।
योजना को पुख्ता करने के लिए निर्वाचन आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करते हैं। सुरक्षा और मतदान कर्मियों के लिए आरामदायक प्रवास और स्वच्छ भोजन के लिए भी जमीनी स्तर पर योजना बनाने की आवश्यकता होती है।
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