Lok Sabha: ‘एक राष्ट्र, एक पाठ्यक्रम’ की BJP की मांग, विपक्ष ने ‘ड्रॉप आउट’ रोकने की आवश्यकता जताई

लोकसभा में बृहस्पतिवार को सत्तापक्ष ने जहां देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों सहित सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और इसे रोजगारपरक बनाने की आवश्यकता जताई, वहीं विपक्ष ने इन संस्थानों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) तथा आदिवासी छात्रों के बीच में पढ़ाई छोड़ने के कारणों की तहकीकात करके इस पर अंकुश और आत्महत्या की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए प्रयास किये जाने पर जोर दिया.

BJP | PTI

नयी दिल्ली, 7 दिसम्बर : लोकसभा में बृहस्पतिवार को सत्तापक्ष ने जहां देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों सहित सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और इसे रोजगारपरक बनाने की आवश्यकता जताई, वहीं विपक्ष ने इन संस्थानों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) तथा आदिवासी छात्रों के बीच में पढ़ाई छोड़ने के कारणों की तहकीकात करके इस पर अंकुश और आत्महत्या की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए प्रयास किये जाने पर जोर दिया. तेलंगाना में एक केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित करने से संबंधित ‘केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023’ पर सदन में बुधवार को अधूरी रह गई चर्चा को आगे बढ़ाते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों ने शिक्षण संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने, शिक्षा को रोजगारपरक बनाने तथा ‘एक राष्ट्र, एक पाठ्यक्रम’ की कवायद करने की सरकार से मांग की. भाजपा के सांसद राजीव प्रताप रुडी ने विश्वविद्यालयों में विलंबित शैक्षणिक सत्र को ठीक करने के लिए अन्यत्र परीक्षा की व्यवस्था करने की आवश्यकता जताई. उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षाओं में बाजी मारने वाले 50 से 60 प्रतिशत अभ्यर्थियों के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) से संबद्ध होने का संदर्भ देते हुए कहा कि यह इस बात का परिचायक है कि आईआईटी और आईआईएम में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाती है.

रुडी ने कहा कि सरकार के समक्ष शैक्षणिक संस्थानों की गुणवत्ता को ठीक करने और उसे रोजगारपरक बनाने की चुनौती है. कांग्रेस सांसद कोडिकुन्नील सुरेश ने इन विश्वविद्यालयों में एससी/एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों की ‘ड्रॉप आउट’ दर को चिंतनीय करार देते हुए कहा कि नये-नये विश्वविद्यालयों की स्थापना के बजाय सरकार को वर्तमान विश्वविद्यालयों में जातिगत भेदभाव दूर करने के तंत्र विकसित करने के लिए काम करना चाहिए, ताकि इन संस्थानों में एससी/एसटी या आदिवासी छात्र/छात्राओं की आत्महत्या की घटनाएं कम हों या उनके पढ़ाई छोड़ने की दर में कमी आए. उन्होंने एससी/एसटी के विद्यार्थियों और शिक्षकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए विशेष प्रयास करने की सरकार से मांग की. शिवसेना के राहुल रमेश शेवाले ने कहा कि तेलंगाना में प्रस्तावित विश्वविद्यालय जनजातीय कला संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जनजातीय समुदाय के लोगों के लिए बेहतर काम किये हैं. यह भी पढ़ें : ‘भारत को विभाजित करने की योजना’, तेलंगाना CM रेवंत रेड्डी के बिहार DNA वाले बयान को लेकर कांग्रेस पर जमकर बरसी BJP

उन्होंने मध्य प्रदेश के आदिवासी विश्वविद्यालय की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित किये जाने की मांग की. जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेकेएनसी) के हसैनन मसूदी ने केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत अनंतनाग में पर्यटन एवं आतिथ्य विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग की. उन्होंने कहा कि इससे भविष्य में पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र में कामगारों की मांग पूरी की जा सकेगी. एआईएमआईएम के सैयद इम्तियाज जलील ने राष्ट्रीय महत्व के उच्च शिक्षण संस्थानों में एससी/एसटी छात्रों की आत्महत्याओं की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने की मांग की. उन्होंने सरकार से पूछा कि आखिर देश के 1182 विश्वविद्यालयों में से एक भी विश्वविद्यालय दुनिया के 200 विश्वविद्यालयों में स्थान क्यों नहीं ले पाता है? उन्होंने नये संसद भवन के उद्घाटन में देश की प्रथम आदिवासी राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किये जाने का मुद्दा उछाला. उन्होंने कहा कि सरकार को दलितों और आदिवासियों को केवल पदों पर बैठाकर ही नहीं, बल्कि उनके समाज को सम्मान देना चाहिए.

भाजपा के तापिर गाव ने तेलंगाना के इस जनजातीय विश्वविद्यालय में यूपीएससी की तैयारी के लिए मुफ्त कोचिंग सेंटर खोलने की मांग की. उन्होंने स्कूलों में आदिवासी विद्यार्थियों को लंबे समय से दी जा रही महज 225 रुपये की छात्रवृत्ति को बढ़ाने की सरकार से मांग की. गाव ने देश में एकजुटता के लिए ‘एक राष्ट्र, एक पाठ्यक्रम’ शुरू करने की आवश्यकता जताई. उन्होंने कहा कि इससे पाठ्यक्रमों के आधार पर विद्यार्थियों के बीच कोई विभेद नहीं रहेगा. उन्होंने आईआईएम/आईआईटी आदिवासी संस्थान की स्थापना की भी सरकार से मांग की, साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासी छात्रों के लिए अरुणाचल प्रदेश में एक जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना पर भी विचार करने का सरकार से आग्रह किया.

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