गुवाहाटी, 13 अप्रैल असम के वित्त एवं स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन के कारण अन्य क्षेत्रों में फंसे राज्य के लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है।
मंत्री ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एक हेल्पलाइन नंबर दिया गया है, जिस पर राज्य के लोग मिस्ड कॉल दे सकते हैं। एक बार ऐसा करने के बाद, उन्हें बैंक खाता नंबर सहित अपना विवरण प्रदान देने के लिए एक लिंक प्रदान किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें देशभर से लोगों को वापस लाने के लिए कई कॉल आ रही हैं, लेकिन यह संभव नहीं होगा क्योंकि अंतर-राज्यीय सम्पर्क अभी तत्काल बहाल होने की संभावना नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि सहायता की सही राशि की घोषणा प्राप्त होने वाली कॉल की संख्या को ध्यान में रखते हुए बाद में की जाएगी।
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि जो लोग राज्य के बाहर काम कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन लागू होने से पहले घर लौट आए थे वे इस सहायता के पात्र नहीं होंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हम गरीब छात्रों और उन श्रमिकों तक पहुंच बना रहे हैं, जिन्हें लॉकडाउन के कारण वेतन नहीं मिल रहा है।’’
सरमा ने कहा कि असम इंजीनियरिंग कॉलेज (एईसी), कॉटन यूनिवर्सिटी और गौहाटी विश्वविद्यालय के 400 से अधिक छात्रों के साथ मिलकर पीरामल फाउंडेशन स्वयं इस अर्जी प्रक्रिया में मदद करने के लिए आगे आया है।
मंत्री ने कहा कि इस प्रक्रिया से एक डेटाबेस का निर्माण भी होगा जो बाद में ‘‘राज्य में भविष्य में लौटने वाले लोगों की संख्या का पता लगाने में हमारी मदद करेगा और हमें तदनुसार स्वास्थ्य देखभाल के उपाय करने होंगे।’’
उन्होंने कहा कि आवेदन प्राप्त होने के बाद उपायुक्तों द्वारा आवश्यक सत्यापन किया जाएगा और इसके वैध पाये जाने पर राशि उनके संबंधित बैंक खातों में अंतरित कर दी जाएगी।
राज्य सरकार ने इससे पहले कैंसर, किडनी, ह्रदय और लीवर प्रतिरोपण के ऐसे रोगियों को वित्तीय सहायता देने की घोषणा की थी, जो इलाज के लिए असम से गए थे और फंस गए थे।
सरमा ने कहा, ‘‘919 मरीजों के परिवार के सदस्यों ने कॉल सेंटर से संपर्क किया है और हमने प्रत्येक मरीज को 25,000 रुपये देने का फैसला किया है।’’
उन्होंने कहा कि 213 मरीजों के परिवार के सदस्यों को पैसा पहले ही अंतरित किया जा चुका है जबकि अन्य पात्र पाए गए लोगों को भी जल्द ही राशि मिल जाएगी।
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