पंजाब में लॉकडाउन एक मई तक बढ़ा, सामुदायिक संक्रमण का अंदेशा

चंडीगढ़, 10 अप्रैल पंजाब में कोरोना वायरस के मामले 151 तक पहुंचने और इस महामारी के सामुदायिक संक्रमण की ओर बढने की आशंका के बीच राज्य सरकार ने लॉकडाउन (बंद) की अवधि एक मई तक के लिए बढ़ा दी ।

अब पंजाब ओडिशा के बाद ऐसा करने वाला दूसरा राज्य बन गया है।

पंजाब सरकार ने यहां जारी एक बयान में कहा कि लॉकडाउन बढ़ाने का यह निर्णय वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में किया गया।

इसी बैठक में मंत्रिमंडल ने कोरोना वायरस के खिलाफ अपनी लड़ाई में सरकार को निजी अस्पतालों को अपने साथ लाने की अनुमति देने वाले एक अध्यादेश मसौदे को शुक्रवार को मंजूरी दे दी।

यहां जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पंजाब क्लीनिकल प्रतिष्ठान (पंजीकरण एवं विनियम) 2020 अध्यादेश क्लीनिकल प्रतिष्ठानों के पंजीकरण एवं क्लीनिकल मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करेगा ।

मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘ कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मंत्रिमंडल ने लॉकडाउन एवं कर्फ्यू एक मई तक बढ़ाने का निर्णय लिया। यह मुश्किल वक्त है और मैं सभी से घरों में ही रहने एवं स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करने की अपील करता हूं जैसा आपने अबतक किया है और मैं उसके लिए आभारी हूं। ’’

उससे पहले विशेष मुख्य सचिव के बी एस सिद्धू ने भी इस फैसले के बारे में ट्वीट किया।

यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब केंद्र भी पाबंदियों को 14 अप्रैल के बाद बढ़ाने के राज्यों के प्रस्तावों पर विचार कर रहा है। 14 अप्रैल 21 दिन के वर्तमान लॉकडाउन का आखिरी दिन है।

पंजाब सरकार के बयान के अनुसार मुख्यमंत्री रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रियों के साथ होने वाले सम्मेलन में लॉकडाउन बढ़ाने के निर्णय से प्रधानमंत्री को अवगत करायेंगे।

पंजाब पहला ऐसा राज्य था जिसने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए 23 मार्च को कर्फ्यू लगाया था। उसके बाद ही प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय लॉकडाउन की घोषण की थी।

बयान के अनुसार कर्फ्यू की अवधि बढ़ाने का यह फैसला इस महामारी को सामुदायिक स्तर पर फैलने से रोकने तथा आगामी फसल कटाई एवं खरीद सीजन में मंडियो में भीड़ को रोकने के लिए किया गया है।

पंजाब में पिछले कुछ दिनों में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़े हैं और यह 151 तक पहुंच गये। संक्रमितों में से 11 मरीजों की जान भी चली गयी। शुक्रवार को राज्य में 21 नये मामले सामने आये। उनमें से 11 मोहाली जिले से, आठ पठानकोट से और संगरूर एवं जालंधर से एक एक मामला सामने आया।

एक अधिकारी ने बताया कि नये मामलों में दस मामले मोहाली जिले के जवाहरपुर गांव से आये। इस जिले में अबतक 48 मामले सामने आये हैं जिनमें से 32 इसी गांव से हैं।

दिन में उससे पहले मुख्यमंत्री ने आगामी सप्ताहों में इस महामारी के प्रसार का गंभीर आकलन पेश किया।

उन्होंने कहा कि पीजीआईएमईआर का एक अध्ययन कहता है कि आगामी महीनों में भारत की 58 फीसदी जनसंख्या संक्रमित हो सकती है।

हालांकि जब चंडीगढ़ के स्नातोकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान ने कहा कि उसे ऐसे किसी अध्ययन की जानकारी नहीं है तो मुख्यमंत्री कार्यालय ने संस्थान के सामुदायिक मेडिसीन विभाग एवं जनस्वास्थ्य विद्यालय के अवर प्रोफेसर डॉ. शंकर पृंजा का नाम लिया।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि प्रोफेसर और उनकी टीम ने उन्हें प्रदत्त पंजाब आंकड़े पर मानक गणितीय मॉडल का इस्तेमाल किया।

मुख्यमंत्री के प्रस्ताव पर मंत्रिपरिषद ने कर्फ्यू और लॉकडाउन से क्रमिक तरीके से बाहर निकलने की रणनीति बनाने के लिए बहुविषयक कार्यबल के गठन का भी निर्णय लिया।

मंत्रिमंडल ने कोविड-19 के बाद राज्य की अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए रोडमैप सुझाने के वास्ते उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित करने को मंजूरी दी। मुख्यमंत्री योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया से उसकी अगुवाई करने का अनुरोध करेंगे।

राज्य सरकार केंद्र से 500 करोड़ रूपये के अनुमानित निवेश से पंजाब में एंडवांस्ड सेंटर ऑफ वायरोलोजी स्थापित करने की मांग करेगी और इसके लिए जमीन मुफ्त देगी।

मुख्यमंत्री ने कहा था कि कर्फ्यू जरूरी था ताकि राज्य का मेडिकल बुनयादी ढांचा अपनी क्षमता से अधिक बोझ तले न आ जाए।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)