नयी दिल्ली, 18 दिसंबर दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखकर विधानसभा में कैग रिपोर्ट पेश करने में ‘जानबूझकर की गई चूक’ को लेकर आप सरकार की आलोचना की है और उन्हें ऐसा करने के लिए 19 या 20 दिसंबर को सदन का विशेष सत्र बुलाने की सलाह दी है।
मंगलवार को लिखे अपने पत्र में सक्सेना ने आरोप लगाया कि पिछले दो वर्षों में 14 रिपोर्ट प्रस्तुत करने में निर्वाचित सरकार की ओर से “जानबूझकर चूक” की गई है।
उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री को लिखा कि सामान्य तौर पर, एक वर्ष में कम से कम तीन बार विधानसभा का सत्र बुलाया जाता है, लेकिन यह विधायी प्रथा का “उपहास” है कि दिल्ली सरकार ने पांच वर्षों में केवल पांच सत्र बुलाए।
उपराज्यपाल ने कहा कि दिल्ली विधानसभा के पांचवें सत्र के तीसरे चरण को चार दिसंबर को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था, लेकिन अभी तक इसका सत्रावसान नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा, “आप, सदन की नेता होने के नाते, अध्यक्ष के परामर्श से, इन कैग रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने के लिए 19 या 20 दिसंबर को विधानसभा की विशेष बैठक बुला सकती हैं, क्योंकि इस मामले में अत्यधिक देरी हो रही है और आठवीं विधानसभा के लिए चुनाव आसन्न हैं।”
उपराज्यपाल ने कहा कि आमतौर पर वह अल्प सूचना पर सदन की विशेष बैठक बुलाने के लिए समय-सीमा का संकेत नहीं देते, लेकिन स्थिति असाधारण है, क्योंकि मौजूदा विधानसभा और निर्वाचित सरकार का कार्यकाल फरवरी 2025 में समाप्त होने वाला है।
यह मुद्दा फिलहाल न्यायालय में विचाराधीन है, क्योंकि विपक्षी भाजपा विधायकों ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर निर्वाचित सरकार को रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
सक्सेना ने यह भी कहा कि वह लगातार आतिशी और उनके पूर्ववर्ती अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर उन्हें इस मौलिक दायित्व की महत्ता की याद दिलाते रहे हैं।
उन्होंने पत्र में कहा, “मुझे इस बात से बहुत दुख होता है कि संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाने के 75वें वर्ष में, पारदर्शिता के आधार पर लोकप्रिय जनादेश प्राप्त करने वाली एक निर्वाचित सरकार ने जानबूझकर साथी विधायकों के सामने भी, जानकारी देने में अस्पष्टता का रास्ता चुना है।”
उपराज्यपाल ने कहा कि उन्हें यकीन है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा विभिन्न विभागों के कामकाज पर किए जाने वाले वैधानिक ऑडिट के महत्व से अवगत हैं।
उन्होंने कहा कि यह संभवतः विधायिका की गरिमा के लिए एक “अपूरणीय आघात” है, जो जनता की आवाज का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहा कि मामला अदालत में पहुंचने के बाद ही रिपोर्ट उनके समक्ष रखी गई।
सक्सेना ने कहा, “ये सभी कैग रिपोर्टें सदन की विशेष बैठक बुलाकर उक्त लेखापरीक्षा रिपोर्टों को सदन के पटल पर रखने की स्वीकृति के साथ 13 दिसंबर, 2024 को ही आपके कार्यालय को तुरंत वापस कर दी गईं।”
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