नयी दिल्ली, 14 जनवरी बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में मूंगफली तेल-तिलहन को छोड़कर बाकी सभी तेल-तिलहनों (सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल, पामोलीन तथा बिनौला तेल) के दाम सुधार दर्शाते बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने कहा कि ऊंचा दाम होने तथा आयातित सस्ते खाद्य तेलों से लगभग दोगुना दाम होने की वजह से मूंगफली तेल-तिलहन के लिवाल कम हैं। सस्ते आयातित खाद्य तेलों के आगे मूंगफली तेल- तिलहन चल नहीं रहा है जो इसमें आई गिरावट का मुख्य कारण है।
उन्होंने कहा कि सस्ते आयातित तेलों के कारण कीमतों पर दबाव होने की वजह से किसान नीचे दाम पर सरसों बेच नहीं रहा और मंडियों में इसकी आवक कम हो रही है। दूसरी ओर सरसों पेराई करने में मिल वालों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस वजह से बीते सप्ताह सरसों तेल-तिलहन के दाम में लाभ दर्ज हुआ। वैसे सरसों की नयी फसल भी जल्द आने वाली है। इसका पिछले साल का भी स्टॉक बचा हुआ है। ऐसे में देखा जाना है कि नयी सरसों फसल का क्या हाल होता है क्योंकि किसानों द्वारा नीचे भाव में बिकवाली के आसार कम हैं।
बीते सप्ताह विदेशों में अपने पिछले सप्ताह के दाम के मुकाबले बीते सप्ताह सोयाबीन तेल के दाम दो डॉलर घटे हैं। लेकिन पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव की वजह से परिवहन व्यवधान के कारण आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका से देश में सोयाबीन तेल- तिलहन के दाम में सुधार आया है।
सूत्रों ने कहा कि विदेशों में जिस कच्चे पामतेल (सीपीओ) का दाम बीते सप्ताह बढ़कर 910 डॉलर प्रति टन हो गया वह इससे पिछले सप्ताह 880 डॉलर प्रति टन था। इस वजह से सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम में सुधार है। वैसे जाड़े के मौसम में मांग कमजोर रहने की वजह से बंदरगाह पर नीचे भाव पर बिक्री करने के कारण सीपीओ एवं पामोलीन के आयात में नुकसान की स्थिति है।
सूत्रों ने कहा कि मंडियों में कपास की आवक (जिनिंग मिल द्वारा कपास से बिनौला अलग किया जाता है) पहले के 1.90-1.95 लाख गांठ से घटकर अब 1.55-1.60 लाख गांठ रह गई है। आवक कम होने की वजह से बीते सप्ताह बिनौला तेल कीमतों में सुधार आया।
उन्होंने कहा कि बिनौला तेल संघ के आंकड़ों के अनुसार, देश में रुई का निर्यात घटा है और इसका आयात बढ़ा है जो इस बात को दर्शाता है कि देश की जिनिंग मिलें पूरी क्षमता से काम नहीं कर रही हैं।
बाजार सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों की खपत बढ़ने के कारण पिछले साल की तरह खाद्य तेलों का आयात भी बढ़ना चाहिए था। तेल वर्ष 31 अक्टूबर को समाप्त होता है। नवंबर-दिसंबर, 2022 के दौरान 31,11,669 टन (खाद्य एवं अखाद्य) तेलों का आयात हुआ था जो नये तेल वर्ष यानी नवंबर-दिसंबर, 2023 में 21 प्रतिशत घटकर 24,72,276 टन रह गया। पश्चिम एशिया में तनाव की स्थिति की वजह से आपूर्ति प्रभावित होने की भी आशंका है और देश के बंदरगाहों पर सोयाबीन तेल आने में 40-45 दिन लगते हैं।
पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 50 रुपये के सुधार के साथ 5,415-5,465 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 175 रुपये बढ़कर 10,025 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 25 और 25 रुपये सुधार के साथ क्रमश: 1,710-1,805 रुपये और 1,710-1,810 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 40-40 रुपये की मजबूती के साथ क्रमश: 5,005-5,035 रुपये प्रति क्विंटल और 4,815-4,855 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 425 रुपये, 325 रुपये और 275 रुपये के लाभ के साथ क्रमश: 10,075 रुपये और 9,825 रुपये और 8,325 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सस्ते आयातित तेलों की मौजूदगी में काफी महंगा दाम बैठने की वजह से मांग प्रभावित होने के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन के दाम 125 रुपये की गिरावट के साथ 6,665-6,740 रुपये क्विंटल पर बंद हुए। मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव भी क्रमश: 250 रुपये और 30 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 15,750 रुपये क्विंटल और 2,350-2,625 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
विदेशों में सीपीओ के दाम में मजबूती आने के बाद समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 150 रुपये के सुधार के साथ 7,900 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 200 रुपये के सुधार के साथ 9,100 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 225 रुपये की बढ़त के साथ 8,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इस दौरान बिनौला तेल भी 275 रुपये बढ़कर 8,525 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
राजेश
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