नयी दिल्ली, 12 जुलाई दिल्ली की एक अदालत ने नौकरी के बदले कथित जमीन घोटाले से संबंधित एक मामले में पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद और रेलवे के कुछ अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन के वास्ते मंजूरी प्राप्त करने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को बुधवार को आठ अगस्त तक का समय दिया।
विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने सीबीआई द्वारा इस आशय के अनुरोध किये जाने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी को समय दिया।
सीबीआई ने कथित घोटाले के सिलसिले में गत तीन जुलाई को पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री एवं उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं उनके बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ एक आरोप-पत्र दाखिल किया था।
उक्त आरोप-पत्र इस मामले में दाखिल किया गया दूसरा आरोपपत्र है। हालांकि यह ऐसा पहला आरोपपत्र है, जिसमें तेजस्वी यादव का नाम आरोपी के तौर पर शामिल किया गया है। संघीय एजेंसी ने आरोप-पत्र में यादव परिवार के तीन सदस्यों के अलावा 14 व्यक्तियों और प्रतिष्ठानों को नामजद किये हैं।
आरोपियों को भ्रष्टाचार-रोधी अधिनियम के प्रावधानों के अलावा भारतीय दंड संहिता की आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी से जुड़ी प्रासंगिक धाराओं के तहत आरोपित किये गये हैं।
यह आरोप-पत्र 23 जून को पटना में एक दर्जन से अधिक विपक्षी दलों की बैठक के कुछ दिनों के बाद दायर किया गया है। इस बैठक में लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सहित एक दर्जन से अधिक विपक्षी दलों ने 2024 के लोकसभा चुनाव में एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मुकाबला करने का संकल्प लिया था।
अधिकारियों के अनुसार यह मामला 2004 से 2009 तक रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद के कार्यकाल के दौरान मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित पश्चिमी मध्य क्षेत्र में की गई ग्रुप-डी नियुक्तियों से संबंधित है, जिसके बदले अभ्यर्थियों द्वारा राजद प्रमुख के परिवार के नाम पर भूखंड उपहार में दिये गए या हस्तांतरित किये गए।
एजेंसी ने 18 मई, 2022 को लालू प्रसाद और उनकी पत्नी, दो बेटियों और अज्ञात लोक सेवकों तथा निजी व्यक्तियों सहित 15 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
सीबीआई ने पिछले साल अक्टूबर में लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और अन्य के खिलाफ मामले में पहला आरोप-पत्र दायर किया था। यह रेलवे के मुंबई मुख्यालय वाले मध्य क्षेत्र में की गई नियुक्तियों से संबंधित था।
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