नयी दिल्ली, 21 अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने लॉकडाउन के दौरान गरीबों और बेघरों को तत्काल राहत देने की मांग वाली जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए मंगलवार को कहा कि ऐसे हालात नहीं हैं कि वह सरकार को एक विशेष तरीके से काम करने के लिए निर्देश दे सके।
न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ता अग्निवेश की जनहित याचिका पर सुनवाई की जिसमें बंद के दौरान गरीबों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों के लिए राहत की मांग की गयी थी।
पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता और सामाजिक कार्यकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस का पक्ष सुनने के बाद जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया।
सुनवाई के दौरान गोंजाल्विस ने कहा कि एक आवेदन दाखिल किया गया है और दलील दी गयी है कि कई राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों ने खाद्य वितरण के लिए आंगनवाड़ी योजना पुन: शुरू नहीं की है।
याचिका में कहा गया कि स्तनपान कराने वाली माताएं और उनके नवजात शिशुओं को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत भोजन दिया जाना चाहिए।
मौजूदा हालात का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘ऐसे हालात हैं जहां हम यह नहीं कह सकते कि कोई कार्य इस तरह से किया जाए या उस तरह से किया जाए। आपके पास सुझाव हैं और आप उन्हें सरकार के विचारार्थ उसके समक्ष रख सकते हैं।’’
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