नयी दिल्ली, तीन मई उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कोविड-19 के उपचार में जरूरी दवाओं और ऑक्सीजन की काला बाजारी लोगों की कठिनाइयों का फायदा उठाने का निंदनीय प्रयास है। न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह आरोपियों की पहचान और उन्हें दंडित करने के लिये विशेष दल बनाने पर विचार करे।
उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि नागरिकों को अनाप-शनाप किराया वसूले जाने से बचाने के लिये एंबुलेंसों को लेकर दिशानिर्देश अवश्य होने चाहिए और केंद्र ऐसे मामलों को सुगमता से दर्ज कराने और उनके निस्तारण के लिये मंच बनाने पर विचार कर सकता है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि रेमडेसिविर और टोसिलिजुमैब जैसी कुछ महत्वपूणर् दवाएं महत्वपूर्ण रूप से ऊंचे दामों पर या फिर गलत रूप से बेची जा रही हैं।
रविवार देर रात न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड आदेश में अदालत ने कहा, “लोगों की कठिनाइयाें का फायदा उठाना और उनकी मजबूरी से लाभ लेना निंदनीय कृत्य है।”
पीठ में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट भी शामिल हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा, “इस व्यवस्था पर रोक लगाने के लिये केंद्र सरकार को उन लोगों की पहचान कर उन्हें दंडित करने के लिये विशेष दल बनाने पर विचार करना चाहिए जो: (ए) चिकित्सीय श्रेणी ऑक्सीजन/कोविड-19 दवाओं को ऊंचे दामों पर बेचते हैं, और (बी) नकली सामान बेचते हैं और संबंधित सामान को बरामद करना।”
केंद्र ने पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि जमाखोरी/काला बाजारी एक गंभीर खतरा है और अपराध होने के साथ ही मानव दुखों के व्यापार का गैर माफी योग्य कृत्य है।
केंद्र ने पीठ को बताया कि केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन ने सभी राज्य औषध नियंत्रकों को देश में रेमडेसिविर की जमाखोरी व काला बाजारी रोकने के लिये विशेष जांच अभियान चलाने का निर्देश दिया है।
अदालत ने यह निर्देश कोविड-19 महामारी के दौरान आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये स्वत: संज्ञान पर लिये गए एक मामले की सुनवाई के दौरान दिया।
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