तिरुवनंतपुरम: केरल सरकार ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने की लड़ाई में पैसों की कमी दूर करने के उद्देश्य से अपने कर्मचारियों का वेतन काटने के लिए बुधवार को एक अध्यादेश लाने का फैसला किया. उच्च न्यायालय द्वारा वाम सरकार के, अपने कर्मचारियों के वेतन कटौती के आदेश पर रोक लगाने और इसके कानून के तहत ना होने की बात कहने के एक दिन बाद यह निर्णय किया गया. सरकार ने अपने आदेश में कहा था कि अगले पांच महीनों तक हर महीने राज्य सरकार के कर्मचारियों का छह दिन का वेतन काटा जाएगा. इसका विरोध करते हुए कर्मचारियों और उनके संगठनों ने अदालत का रुख किया था.
राज्य के वित्त मंत्री टी. एम. थॉमस इसाक ने मंत्रिमंडल के फैसले की घोषणा करते हुए पत्रकारों को बताया कि अध्यादेश के तहत इस आपदा की स्थिति में राज्य सरकार अपने कर्मचारियों का 25 प्रतिशत वेतन काटेगी. इसाक ने कहा, ‘‘ अध्यादेश के अनुसार, आपदा की स्थिति में राज्य सरकार को सरकारी कर्मचारियों का 25 प्रतिशत वेतन काटने का अधिकार है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ राज्य सरकार रोके गए वेतन को छह महीने के अंदर वापस देने पर भी निर्णय ले सकती है. ये दो जरूरी प्रावधान हैं.’’ यह भी पढ़ें: COVID-19 लॉकडाउन के दौरान केरल में पुलिसकर्मी ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर केक पहुंचाकर लोगों की कर रहे हैं मदद
मंत्री ने हालांकि यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि 25 प्रतिशत वेतन रोका नहीं जाएगा और राज्य सरकार पूर्व आदेश के तहत छह दिन का वेतन ही काटेगी. उन्होंने कहा, ‘‘ राज्य सरकार ने केरल उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अध्यादेश लाने का निर्णय किया. हम उच्च अदालत में भी अपील कर सकते थे लेकिन अदालत ने कहा था कि वेतन कटौती का कोई कानूनी आधार नहीं है. इसलिए हमने इसे कानूनी करने का निर्णय लिया.’’’
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि अन्य राज्य 30 प्रतिशत से अधिक वेतन काट रहे हैं लेकिन केरल का अध्यादेश केवल छह दिन के वेतन की कटौती की ही अनुमति देता है. इससे पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा था कि राज्य की आर्थिक स्थिति ठीक होने के बाद कर्मचारियों को, उनका काटा गया वेतन वापस कर दिया जाएगा.