देश की खबरें | किर्लोस्कर परिवार का विवाद: न्यायालय ने मध्यस्थता पर अतुल, 13 अन्य से मांगा विचार

नयी दिल्ली, 25 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड (केबीएल) द्वारा एक अपील में प्रतिवादी बनाए गए उद्योगपति अतुल चंद्रकांत किर्लोस्कर और 13 अन्य लोगों से संपत्ति से संबंधित पारिवारिक विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता के मुद्दे पर अपनी राय से अवगत कराने को कहा।

केबीएल ने बंबई उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें संपत्ति मामले में मध्यस्थता का निर्देश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने 27 जुलाई को मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था और इसमें शामिल पक्षों से मध्यस्थता की संभावना तलाशने को कहा था। संजय किर्लोस्कर केबीएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने मध्यस्थता के मुद्दे पर किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड की ओर से पेश ए एम सिंघवी और श्याम दीवान सहित वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलों पर गौर किया तथा अतुल चंद्रकांत किर्लोस्कर तथा अन्य के वकील से इस मामले पर अपने विचार रखने को कहा।

पीठ को अवगत कराया गया कि कुछ पक्ष उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा ​​द्वारा मध्यस्थता के लिए सहमत हैं और यह कहा गया कि सभी कंपनियां, जो अदालती कार्यवाही में पक्षकार नहीं हैं, उन्हें भी मध्यस्थता का हिस्सा होना चाहिए।

सुनवाई की शुरुआत में, सिंघवी ने कहा कि यदि सभी कंपनियां और व्यक्ति परिणाम को लेकर जवाबदेह नहीं हैं तो मध्यस्थता एक निरर्थक कवायद होगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे में उसे कुछ अंतरिम आदेश पारित करने पड़ सकते हैं क्योंकि ‘‘निष्पक्षता’’ होनी चाहिए और किसी भी पक्ष को अनुचित लाभ नहीं उठाना चाहिए। दलीलों को दर्ज करते हुए पीठ ने वकील से मध्यस्थता पर निर्देश लेने को कहा।

पीठ 12 नवंबर को संपत्ति मामले में मध्यस्थता का निर्देश देने वाले बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई थी।

पूर्व में, शीर्ष अदालत ने किर्लोस्कर बंधुओं संजय और अतुल को संपत्ति से जुड़े पारिवारिक विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की संभावना तलाशने को कहा था।

एक सदी पुराने किर्लोस्कर समूह की संपत्ति से संबंधित पारिवारिक समझौते पर विवाद तब शीर्ष अदालत में पहुंच गया जब संजय किर्लोस्कर ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील की। अपील में, यह दलील दी गई कि उच्च न्यायालय का आदेश तथ्यात्मक और कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण है और गलत तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष पर पहुंचा गया।

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