कोल्लम (केरल), 2 अगस्त : वायनाड भूस्खलन हादसे के बाद व्यवसायी, मशहूर हस्तियां और संस्थाएं मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में लाखों-करोड़ों रुपये दान देने में जुटी हैं. इसी के बीच पीड़ितों की मदद के लिए एक चाय की दुकान चलाने वाली बुजुर्ग महिला भी आगे आई है.बुजुर्ग महिला ने अपनी सारी कमाई और पेंशन उन लोगों के लिए दान कर दी हैं जो इस हादसे में अपना सब कुछ खो चुके हैं . वायनाड भूस्खलन में 190 लोगों की मौत हो चुकी है. कोल्लम जिले के पल्लीथोट्टम निवासी सुबैदा अपना और अपने पति का पेट पालने के लिए एक छोटी सी चाय की दुकान चलाती हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष (सीएमडीआरएफ) को 10 हजार रुपए दान किए हैं. उन्होंने अपनी चाय की दुकान से होने वाली मामूली आय और दंपति को मिलने वाली कल्याणकारी पेंशन से धनराशि दान की है.
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कुछ दिन पहले ब्याज चुकाने के लिए बैंक से राशि निकाली थी. लेकिन फिर हमने टीवी पर देखा कि वायनाड भूस्खलन में अपना सब कुछ खो चुके लोगों की मदद के लिए सभी से योगदान मांगा जा रहा है.’’ उन्होंने एक टीवी चैनल पर कहा, ‘‘मेरे पति ने तुरंत मुझसे कहा कि मैं जाकर जिलाधिकारी को रुपये दे दूं. उन्होंने कहा कि इस समय लोगों की मदद करना अधिक जरूरी है, ब्याज तो बाद में भी चुकाया जा सकता है. इसलिए मैंने जिलाधिकारी कार्यालय जाकर रुपये जमा करा दिए. मैं वायनाड जाकर मदद नहीं कर सकती.’’ सुबैदा ने आगे कहा कि अगर उसने रुपये जमा किए और उसके साथ कुछ हो जाता है, तो न ही ब्याज का भुगतान किया जा सकेगा और न ही उस राशि से किसी की मदद की जा सकेगी.
उन्होंने कहा, ‘‘यह तरीका बेहतर है.’’ यह भी पढ़ें : वायनाड भूस्खलन हादसे के बाद व्यवसायी, मशहूर हस्तियां और संस्थाएं मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में लाखों-करोड़ों रुपये दान देने में जुटी हैं. इसी के बीच पीड़ितों की मदद के लिए एक चाय की दुकान चलाने वाली बुजुर्ग महिला भी आगे आई है.
और लोगों की मदद करने के लिए आगे आने का यह उनका पहला मौका नहीं है. उन्होंने बताया कि इससे पहले उन्होंने बाढ़ राहत प्रयासों के लिए धन दान करने को अपनी चार बकरियां बेच दी थीं. उन्होंने कहा कि हालांकि, कई लोगों ने उनके निस्वार्थ कार्य की आलोचना की है. उन्होंने कहा, ‘‘जब से लोगों ने मेरे काम के बारे में सुना है, कई लोग यहां आए और कहने लगे कि तुमने अपनी कमाई बदमाशों को क्यों दी? उन्होंने कहा कि मैं यहां लोगों को रुपये दे सकती थी. क्या यहां लोगों को रुपये देना ज्यादा महत्वपूर्ण है या वायनाड में लोगों की मदद करना?’’