नयी दिल्ली, 13 दिसंबर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि तीन नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसानों के आह्वान पर वह सोमवार को दिन भर अनशन करेंगे और उन्होंने भाजपा नीत केंद्र सरकार से ‘‘अहंकार’’ छोड़कर कानूनों को रद्द करने की अपील की।
मुख्यमंत्री ने डिजिटल संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की खातिर केंद्र सरकार एक विधेयक लाए।
केजरीवाल ने कहा कि आंदोलनकारी किसानों की अपील के मुताबिक सोमवार को वह एकदिवसीय अनशन करेंगे और आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्ताओं और देश के लोगों से इसमें शामिल होने की अपील की।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं केंद्र सरकार से अपील करना चाहता हूं कि अपने अहंकार को छोड़ें। जनता सरकार बनाती है न कि सरकार जनता को बनाती है। तीनों कृषि कानूनों को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और किसानों को एमएसपी की गारंटी देने वाला विधेयक लाया जाना चाहिए।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र को जल्द से जल्द किसानों की सभी मांगों को स्वीकार करना चाहिए, जो पिछले दो हफ्ते से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
केजरीवाल ने नाखुशी जताई कि केंद्र सरकार के कुछ नेता और भाजपा नेता प्रदर्शनकारी किसानों को ‘‘गद्दार और देशद्रोही’’ बता रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि इतनी संख्या में पूर्व सैनिक, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और हस्तियां, वकील और व्यवसायी उनका समर्थन कर रहे हैं और उनके साथ प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं तो क्या सभी देशद्रोही हैं?’’
केजरीवाल ने किसानों के प्रदर्शन को ‘‘बदनाम’’ करने की तुलना अन्ना हजारे के आंदोलन से की जिसमें वह शीर्ष नेता थे।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सहयोग नहीं कर सकता लेकिन अन्ना हजारे जी के आंदोलन के दिनों का स्मरण करता हूं। कांग्रेस सरकार ने हमें देशद्रोही के तौर पर बदनाम किया। कांग्रेस ने जो हमारे आंदोलन के साथ किया, भाजपा वहीं किसान आंदोलन के साथ कर रही है।’’
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि यहां तक कि मध्यम-ऊपरी तबके के लोग कृषि कानूनों के खिलाफ हैं और उनका मानना है कि इससे मूल्यों में बढ़ोतरी होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘देश में अभी तक जमाखोरी अपराध था लेकिन केंद्र के नये कृषि कानूनों के तहत कोई भी व्यक्ति कितना भी अनाज जमा कर सकता है और इसे अब अपराध नहीं माना जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसका यह भी मतलब है कि अब मूल्यों में काफी बढ़ोतरी होगी। लोग हर वर्ष तब तक जमा करेंगे जब तक महंगाई दर दोगुनी नहीं हो जाए। उदाहरण के लिए गेहूं इस वर्ष 20 रुपये से बढ़कर अगले वर्ष 40 रुपये हो जाएगा और फिर 80 रुपये और 160 रुपये और फिर इसी तरह बढ़ता जाएगा।’’
गौरतलब है कि केंद्र सरकार जहां तीनों कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका जताई है कि नये कानूनों से एमएसपी और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और और वे बड़े कॉरपोरेट की दया पर निर्भर हो जाएंगे।
नीरज
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