नयी दिल्ली, 11 जनवरी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को आरोप लगाया कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली सरकार राजधानी के शिक्षकों व चिकित्सकों को वेतन नहीं दे रही है लेकिन आबकारी घोटाले के आरोपियों को बचाने के लिए उसने सरकारी कोष से 25 करोड़ रुपये विधिक फीस के रूप में दे दिए।
भाजपा मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ‘‘विज्ञापनजीवी’’ करार दिया और दावा किया कि शराब के ठेकेदार उन्हें ‘‘कठपुतली’’ बनाकर दिल्ली सरकार चला रहे हैं।
भाटिया ने दावा किया कि दिल्ली परिवहन निगम की बसों में सुरक्षाकर्मी के रूप में काम करने वाले 4,500 मार्शलों को तीन महीने से वेतन नहीं मिला है तथा मोहल्ला क्लीनिक में काम करने वाले चिकित्सकों तथा कर्मियों को भी वेतन नहीं मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के अधीन 12 कॉलेजों के शिक्षकों को भी वेतन नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘जनता की सेवा करने वालों को वेतन देने के लिए अरविंद केजरीवाल के पास रुपया नहीं है, लेकिन आबकारी घोटाले के आरोपियों को बचाने के लिए वह सरकारी कोष से 25 करोड़ रुपये विधिक फीस के रूप में दे रहे हैं।’’
भाटिया ने कहा कि केजरीवाल ‘‘विज्ञापनजीवी बनकर दिल्ली में ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों में भी विज्ञापन दे रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘जनता समझ चुकी है कि 'आम आदमी पार्टी' कट्टर बेईमान पार्टी है। वसूली करना और कमीशन लेना इनका काम है। अरविंद केजरीवाल को कठपुतली बनाकर शराब के ठेकेदार आप की सरकार चला रहे हैं।’’
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि 25 करोड़ रुपये की वसूली केजरीवाल या आम आदमी पार्टी से की जानी चाहिए।
ज्ञात हो कि कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है। अब रद्द की जा चुकी शराब नीति में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में ईडी ने छह जनवरी को मामले में पांच लोगों और सात कंपनियों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर किया था।
धन शोधन का यह मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक प्राथमिकी के बाद शुरू किया गया, जिसमें अन्य लोगों के साथ उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी आरोपी बनाया गया था। सीबीआई ने मामला दर्ज करने के बाद उपमुख्यमंत्री और दिल्ली सरकार के कुछ नौकरशाहों के परिसरों पर छापेमारी की थी।
दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश करने के बाद आबकारी योजना सवालों के घेरे में आ गई। उपराज्यपाल ने 11 आबकारी अधिकारियों को निलंबित भी किया था।
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