हरिद्वार, 22 दिसंबर ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की आलोचना करते हुए रविवार को उन पर ‘राजनीतिक सुविधा’ के अनुसार बयान देने का आरोप लगाया और कहा कि जब उन्हें सत्ता प्राप्त करनी थी, तब वह मंदिर-मंदिर करते थे अब सत्ता मिल गई तो मंदिर नहीं ढूंढ़ने की नसीहत दे रहे हैं।
शंकराचार्य ने भागवत के उस बयान पर उनकी आलोचना की है जिसमें उन्होंने कहा था कि हर जगह मंदिर ढूंढ़ने की इजाजत नहीं दी सकती।
उन्होंने भागवत पर ‘राजनीतिक सुविधा’ के अनुसार बयान देने का आरोप लगाते हुए कहा, “जब उन्हें सत्ता प्राप्त करनी थी, तब वह मंदिर-मंदिर करते थे अब सत्ता मिल गई तो मंदिर नहीं ढूंढ़ने की नसीहत दे रहे हैं।”
शंकराचार्य ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह के संसद में बीआर आंबेडकर पर दिए बयान की भी आलोचना की। उन्होंने संसद में धक्का-मुक्की प्रकरण पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी का बचाव करते हुए कहा कि संसद में धक्का-मुक्की प्रकरण की वजह केंद्रीय गृह मंत्री का आंबेडकर पर दिया वक्तव्य है ।
उन्होंने कहा कि देश में आंबेडकर की विचारधारा मानने वाले लोग अधिक हैं इसलिए हर कोई अपनी राजनीति के लिए उनके नाम का इस्तेमाल कर रहा है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की निंदा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को कड़ा कदम उठाते हुए भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को उनके देश भेज देना चाहिए ।
उन्होंने बंगलादेश में हिंदुओं पर अत्याचार मामले में केंद्र सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए उसकी आलोचना भी की।
शंकराचार्य ने पूर्व में आक्रांताओं द्वारा कथित रूप से तोड़े गए मंदिरों की सूची बनाकर उनका पुरातत्व सर्वेक्षण किए जाने तथा हिंदू समाज के गौरव को पुनः पुरस्थापित किए जाने की भी मांग की ।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अतीत में हिंदू समाज के साथ बहुत अत्याचर हुआ है और हिंदुओं के धर्मस्थलों को तहस नहस किया गया है ।
उन्होंने कहा, “अगर अब हिंदू समाज अपने मंदिरों का पुनरूद्धार कर उन्हें पुनः संरक्षित करना चाहता है तो इसमें गलत क्या है ?”
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