नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने बेहतर न्यायिक प्रशासन के लिए मणिपुर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एम.वी. मुरलीधरन का स्थानांतरण कलकत्ता उच्च न्यायालय करने की दोबारा सिफारिश की।
कॉलेजियम ने इसी के साथ न्यायमूर्ति मुरलीधरन के मूल अदालत मद्रास उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने या मणिपुर में ही बने रहने देने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति मुरलीधरन की पीठ ने 27 मार्च को मणिपुर सरकार को आदेश दिया था कि वह मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग पर विचार करे। कहा जाता है कि उक्त फैसला राज्य में घाटी में रह रहे मेइती समुदाय और पहाड़ी इलाकों में रहने वाली कुकी एवं अन्य आदिवासी जातियों के बीच संघर्ष का तात्कालिक कारण बना।
कॉलेजियम में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हैं। कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति मुरलीधरन के इस अनुरोध को ठुकरा दिया कि उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दिया जाए या मणिपुर उच्च न्यायालय में ही रहने दिया जाए।
सिफारिश में कहा गया, ‘‘नौ अक्टूबर 2023 को कॉलेजियम ने बेहतर न्यायिक प्रशासन के लिए मणिपुर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एम.वी. मुरलीधरन का स्थानांतरण कलकत्ता उच्च न्यायालय करने का प्रस्ताव किया।’’
इसमें कहा गया, ‘‘प्रक्रिया ज्ञापन की शर्तों के तहत हमने उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश से प्रस्तावित स्थानांतरण पर विचार विमर्श किया जो मणिपुर उच्च न्यायालय के मामलों के जानकार हैं।’’
कॉलेजियम ने कहा कि उसने न्यायमूर्ति मुरलीधरन के अनुरोध पर विचार किया लेकिन उसमें कोई ठोस आधार नहीं पाया।
उसने कहा, ‘‘इसलिए कॉलेजियम न्यायमूर्ति एम.वी. मुरलीधरन का स्थानांतरण कलकत्ता उच्च न्यायालय किए जाने की नौ अक्टूबर 2023 की सिफारिश को दोहराता है।’’
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