UP Politics: लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव को बड़ा झटका, कई नेता BJP में शामिल
हिन्दी. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ विपक्ष की मोर्चाबंदी के बीच उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) और उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को झटका लगा है। इन दोनों ही पार्टियों के कई अहम नेता सोमवार को भाजपा में शामिल हो गये
लखनऊ, 24 जुलाई: सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ विपक्ष की मोर्चाबंदी के बीच उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) और उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को झटका लगा है इन दोनों ही पार्टियों के कई अहम नेता सोमवार को भाजपा में शामिल हो गये सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं की तुलना दो हजार रुपये के करेंसी नोट से करते हुए उन पर तंज किया है. यह भी पढ़े: Akhilesh Yadav Says Fake Encounter: अतीक के बेटे असद के एनकाउंटर पर अखिलेश यादव ने खड़े किए सवाल, जांच की मांग
भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में सोमवार को रालोद के नेता पूर्व मंत्री राजपाल सैनी, सपा नेता व पूर्व मंत्री साहब सिंह सैनी, पूर्व सपा सांसद अंशुल वर्मा, सपा की पूर्व विधायक सुषमा पटेल, जौनपुर से समाजवादी पार्टी के नेता पूर्व मंत्री जगदीश सोनकर तथा वर्ष 2019 में वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली शालिनी यादव भाजपा में शामिल हो गईं.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक की मौजूदगी में इन नेताओं ने भाजपा का दामन थामा चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी वर्ष 2024 में उत्तर प्रदेश में सभी 80 सीटें जीतने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रही है हम सब मिलकर लक्ष्य पूरा करेंगे.
भाजपा में आज शामिल होने वाले ज्यादातर नेता अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समाज से आते हैं पूर्वांचल के प्रमुख ओबीसी नेता माने जाने वाले ओमप्रकाश राजभर और सपा विधायक पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान के सपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद आज अनेक अन्य वरिष्ठ नेताओं के सत्तारूढ़ दल में शामिल होना सपा के लिये बड़ा झटका माना जा रहा है.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी के कई नेताओं के भाजपा में शामिल होने पर एक ट्वीट कर तंज किया उन्होंने कहा, ''कुछ लोग चले गये 2000 के नोट की तरह गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद जारी हुए दो हजार रुपये के नोट को सरकार ने करीब साढ़े छह साल के बाद वापस लेने का फैसला किया है.
यह घटनाक्रम ऐसे वक्त हुआ है जब विपक्षी दल सत्तारूढ़ भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव में हराने के लिये एकजुट हो रहे हैं और सपा उत्तर प्रदेश में अपनी बड़ी भूमिका का दावा कर रही है सपा इस राज्य में मुख्य विपक्षी दल है और उसका रालोद के साथ गठबंधन है सपा आगामी लोकसभा चुनाव के लिये बूथस्तर पर तैयारियों में जुटी है.
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