नयी दिल्ली, 23 जनवरी कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने सोमवार को कहा कि चूंकि न्यायाधीश निर्वाचित नहीं होते हैं, इसलिए उन्हें सार्वजनिक जांच का सामना नहीं करना पड़ता है, लेकिन लोग उन्हें देखते हैं और न्याय देने के तरीके से उनका आकलन करते हैं।
उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में कॉलेजियम प्रणाली से न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर हालिया समय में न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच गतिरोध बढ़ा है। मंत्री ने तीस हजारी अदालत परिसर में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में यह टिप्पणी की।
रीजीजू ने कहा कि सोशल मीडिया के कारण आम नागरिक सरकार से सवाल पूछते हैं और उन्हें ऐसा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार पर हमला किया जाता है और सवाल किया जाता है ‘‘और हम इसका सामना करते हैं।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘अगर लोग हमें फिर से चुनते हैं, तो हम सत्ता में वापस आएंगे। अगर वे नहीं चुनते हैं, तो हम विपक्ष में बैठेंगे और सरकार से सवाल करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि दूसरी ओर यदि कोई व्यक्ति न्यायाधीश बनता है तो उसे चुनाव का सामना नहीं करना पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘‘न्यायाधीशों की सार्वजनिक पड़ताल नहीं होती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि लोग आपको नहीं चुनते हैं, वे आपको बदल नहीं सकते। लेकिन लोग आपको आपके फैसले, जिस तरह से आप फैसला सुनाते हैं उसके जरिए देखते हैं और आकलन करते हैं तथा राय बनाते हैं।’’
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के दौर में कुछ भी छिपा नहीं है। रीजीजू ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश ने उनसे सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों पर हो रहे हमलों के बारे में कुछ करने का अनुरोध किया था। वह जानना चाहते थे कि न्यायाधीशों के खिलाफ अपमानजनक को कैसे नियंत्रित किया जाए।
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