विदेश की खबरें | सीरियाई शरणार्थियों के लिए अभी स्वदेश लौटना सुरक्षित नहीं: कनाडा के मंत्री
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

दरअसल लेबनान के अधिकारियों ने प्रति माह 15,000 सीरियाई शरणार्थियों को उनके देश वापस भेजने के संबंध में एक योजना की घोषणा की थी, जिसके बाद कनाडा के अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री हरजीत सज्जन ने लेबनान की अपनी यात्रा के दौरान सीरिया में हालात ठीक नहीं होने की बात कही।

सज्जन लेबनान की यात्रा पर थे और उसके बाद वह जॉर्डन पहुंचे। कनाडा के मंत्री ने अस्थाई आवासों में रह रहे सीरिया के शरणार्थियों से मुलाकात की।

सीरिया में 11 साल पहले संघर्ष शुरू हुआ था जिसके बाद 50 लाख से अधिक नागरिक देश छोड़ कर चले गए थे। इनमें से अधिकतर लोग पड़ोसी देशों तुर्की, लेबनान और जॉर्डन में रह रहे हैं।

आर्थिक संकट का सामना कर रहे लेबनान में सीरिया के 10 लाख शरणार्थी रह रहे हैं। देश के गहराते आर्थिक संकट के बीच लेबनान शरणार्थियों को स्वदेश भेजना चाहता है।

सीरिया के स्थानीय प्रशासन मंत्री हुसैन मखलूफ ने सोमवार को कहा कि लेबनान में मौजूद सीरियाई शरणार्थी स्वदेश लौटना शुरू कर सकते हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि शरणार्थियों को अधिकारियों से हर संभव मदद मिलेगी।

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी और मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली संस्थाओं ने बिना इच्छा के इस प्रकार से लोगों को वापस भेजे जाने को लेकर चिंता व्यक्त की है। मानवाधिकार समूहों ने कहा कि सीरिया के कुछ नागरिक जो वापस लौटे उन्हें हिरासत में ले लिया गया है।

कनाडा के मंत्री सज्जन ने भी कुछ इसी प्रकार की चिंता व्यक्त की है।

उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘यह सुनिचित करना बेहद जरूरी है कि जब वे लौटें, तब वहां माहौल सुरक्षित हो।’’

सज्जन ने कहा, ‘‘फिलहाल हमारा आकलन यह है कि सीरिया लोगों के लिए लौटने के वास्ते सुरक्षित स्थान नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ये बहुत स्वाभिमानी लोग हैं और वापस जाना चाहते हैं। वे इन हालात में नहीं रहना चाहते....।’’

कनाडा ने पिछले कुछ वर्षों में हजारों सीरियाई शरणार्थियों को बसाया है, जिनमें से कुछ लेबनान और कुछ जॉर्डन से आए हैं। सज्जन पूर्व में रक्षा मंत्री रह चुके हैं और उन्होंने सेना में भी सेवाएं दी है।

सज्जन ने कहा कि उन्होंने ‘‘युद्ध की भयावहता को देखा है। लोग इनके कारण देश छोड़ कर जाते हैं। कोई अपना घर नहीं छोड़ना चाहता। उन्हें ऐसा करना पड़ता है।’’

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