नागपुर, सात अगस्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि समाज में आरएसएस की विचारधारा के लिए ‘‘अनुकूल परिस्थितियों’’ के कारण अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहना और संघ कार्यकर्ताओं के चरित्र एवं समर्पण को बनाए रखने का कार्य अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है।
नागपुर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने इस बारे में भी आगाह किया कि अनुकूल परिस्थितियों में बदलाव होने और कम अनुकूल परिस्थितियां पैदा होने की भी संभावना है।
संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘एक लंबी अवधि तक आरएसएस कार्यकर्ता सामाजिक विरोध के बावजूद डटे रहे जिसने हमारे लक्ष्य, चरित्र और प्रतिबद्धता की दृढ़ता में योगदान दिया। हमारी विचारधारा के लिए समाज में प्रचलित अधिक अनुकूल परिस्थितियों के साथ अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहना और हमारे कार्यकर्ताओं के चरित्र एवं समर्पण को बनाए रखना अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है।’’
वह दत्ताजी डिडोलकर जन्म शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में बोल रहे थे। इसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और स्वामी जितेंद्रनाथ महाराज भी मौजूद थे।
भागवत ने कहा, ‘‘अतीत में, हमारे विचारों या सोच को व्यक्त करने का अकसर उपहास उड़ाया जाता था।’’
आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘हालात अच्छे नहीं थे। हमारे पास (अतीत में) पर्याप्त संसाधन भी नहीं थे। आज, समाज हम पर भरोसा करता है और हमारा समर्थन करता है, जिससे हमारा काम चुनौतीपूर्ण हो जाता है।’’
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