देश की खबरें | नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए छात्रों को प्रयोगशालाओं से जोड़ना अनिवार्य : प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार

नयी दिल्ली, 21 सितंबर प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने मंगलवार को कहा कि देश में नवोन्मेष के क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों को राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं को बेहद करीब से जोड़ने की जरूरत है।

‘सीआईआई ग्लोबल इनोवेशन कान्क्लेव’ में उन्होंने कहा कि भारत अभूतपूर्व क्षमताओं और अवसरों के अनोखे मेल वाला देश है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी पहुंच और अनुसंधान को देश के व्यापक नवप्रवर्तन पारिस्थितिकी तंत्र तक पहुचाना है।

विजय राघवन ने कहा कि प्रयोगशाला वे स्थान होते हैं जहां कठिन श्रम और प्रयोग करने पड़ते हैं और इन्हें देश के प्रत्येक कोने में देखा जा सकता है। शेष 90 प्रतिशत शिक्षण संस्थानों में सामान्य श्रम और प्रयास करने होते हैं। उन्होंने कि कहा कि इन दोनों तरह के प्रयासों का संतुलित समिश्रण करना होगा और उसी से भारत में नवप्रर्वतन की शुरूआत होगी

वह वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), बायोटेक्नोलॉजी विभाग (डीबीटी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) नाभिकीय ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, रक्षा एवं अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) की प्रयोगशालाओं की बात कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि ‘‘अटल टिंकरिंग लैब्स’’ (स्कूलों में बच्चों के लिए प्रयोगशालाएं) की पहुंच बहुत विस्तृत है और उसमें अभी विस्तार हो रहा है। उन्होंने कहा कि कॉलेज, राज्य के विश्वविद्यालय अनुसंधान में जुटेंगे और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में अनुसंधान की गुणवत्ता बढ़ेगी।

राघव ने सरकार द्वारा ‘‘बदलाव के लिए प्रमुख कदम उठाये जाने की बात पर बल देते हुए कहा, ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) से मिली यह गति भारत को नवप्रवर्तन की रैकिंग में कई पायदान आगे ले जाने में मदद करेगी।’’

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