बेंगलुरु, 26 मार्च भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी) को बहुत ऊंचाई पर स्थित भविष्य की अनुसंधान अंतरिक्षीय कक्षा में ले जाने के लिए एक अलग तरह के मिशन पर इसरो काम कर रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आईआईएसटी के साथ उसी तरह का करार किया है जिस तरह अमेरिका में जेपीएल-कालटेक मॉडल है।
जेपीएल (जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी) अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा वित्तपोषित प्रयोगशाला है जिसका प्रबंधन कालटेक (कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) संभालता है।
कालटेक-जेपीएल मॉडल की तरह ही इसरो के केंद्रों और आईआईएसटी के बीच संयुक्त अनुसंधान गतिविधियों के समन्वय के लिए एक विशेष रूपरेखा तैयार की गयी है। इसमें यहां इसरो मुख्यालय पर स्थित सीबीपीओ (क्षमता निर्माण कार्यक्रम कार्यालय) केंद्रबिंदु के रूप में काम करेगा।
इसरो के केंद्रों के लिए महत्व वाली अनुप्रयोग-केंद्रित अनुसंधान परियोजनाओं को चिह्नित करने तथा आईआईएसटी के संकाय सदस्यों की रुचि के अनुरूप एक आधुनिक अंतरिक्ष अनुसंधान समूह गठित किया गया है।
प्रस्तावों की समीक्षा करने और उन्हें मंजूरी देने के लिए एक अधिकारप्राप्त निगरानी समिति गठित की गयी है।
सीबीपीओ के निदेशक पी वी वेंकटकृष्णन ने ‘पीटीआई-’ से कहा कि इस पहल के तहत बहुत आधुनिक, पूरी तरह नयी और इस तरह की भविष्योन्मुखी परियोजनाओं को लिया जाएगा, जैसा अभी तक इसरो ने कुछ नहीं किया है।
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