इज़राइन में तीन चुनावों के बाद अब सरकार बनना तय

सप्ताहांत पर नेतन्याहू और उनके विरोधी से सहयोगी बने बेनी गांट्ज ने नई सरकार के गठन के लिये साथ आने की घोषणा की। नयी सरकार में इज़राइल के इतिहास में सबसे ज्यादा 36 मंत्रियों और 16 उप मंत्रियों के होने की उम्मीद है।

नेतन्याहू और पूर्व सेना प्रमुख गांट्ज ने पिछले महीने कहा था कि वे कोरोना वायरस संकट और गिरती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिये अपने मतभेदों को दरकिनार कर साथ आ रहे हैं।

सत्ता साझेदारी के विवादित समझौते के तहत सरकार गठन के पहले 18 महीने नेतन्याहू प्रधानमंत्री रहेंगे और उसके बाद अगले 18 महीने सरकार की बागडोर गांट्ज के हाथों में होगीं।

दोनों पक्षों के समान संख्या में मंत्री होंगे और अन्य प्रमुख मुद्दों पर वीटो करने की परोक्ष शक्ति भी।

आलोचक ऐसे समय में सरकार में इतने मंत्री बनाए जाने की आलोचना कर रहे हैं जब कोरोना वायरस के कारण बेरोजगारी दर बढ़कर 25 प्रतिशत पहुंच गई है।

नेतन्याहू के खेमे में कई छोटे दल भी शामिल हैं और ऐसे में लिकुड पार्टी के पदाधिकारियों को देने के लिये उनके पास सीमित संख्या में मंत्रीपद हैं और ऐसे में बृहस्पतिवार को निर्धारित शपथ ग्रहण समारोह से पहले पार्टी के नाराज वरिष्ठ सदस्यों के हल्के विरोध का भी उन्हें सामना करना पड़ा। यह मामला समय पर नहीं सुलझा पाने के कारण नेतन्याहू ने पार्टी के अंदरूनी संकट के समाधान के लिए शपथग्रहण टालने को कहा था।

सत्ता के लिये हुई साझेदारी की वजह से गांट्ज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी पहले ही बंट गई है कि उसने नेतन्याहू के साथ काम नहीं करने के अपने मुख्य चुनावी वादे से समझौता कर लिया। नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार का आरोप है और उन्हें मुकदमे का सामना करना है।

दोनों पार्टियों में यह समझौता होने से पहले देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि उसके पास इसे रोकने का कोई कानूनी आधार नहीं है।

आलोचनाओं के बावजूद गांट्ज की दलील है कि नेतन्याहू से हाथ मिलाना देश को लंबे समय से चले आ रहे राजनीतिक गतिरोध और इज़राइल को एक बार फिर खर्चीले चुनाव में ढकेलने से रोकने का एक मात्र रास्ता था। इज़राइल में अगर फिर चुनाव की नौबत आती तो लगभग एक साल में चौथा चुनाव होता।

गांट्ज नई सरकार में रक्षा मंत्री होंगे जबकि उनके साथी सेवानिवृत्त पूर्व सेना प्रमुख गाबी अस्केनाजी विदेश मंत्री बनाए जाएंगे। लिकुड पार्टी में नेतन्याहू के शीर्ष सहयोगी निवर्तमान विदेश मंत्री इज़राइल काट्ज वित्त मंत्री बनाए जाएंगे।

आलोचना की एक मुख्य वजह “वैकल्पिक प्रधानमंत्री” का नवसृजित पद है। यह गांट्ज से पद बदलने के बाद भी नेतन्याहू को कार्यालय में बने रहने और भ्रष्टाचार के मुकदमे और संभावित अपील प्रक्रिया पर नजर रखने में मदद करेगा।

इस बात को लेकर भी लोगों में संदेह है कि क्या नेतन्याहू मोलभाव के अपने पक्ष को बरकरार रखते हुए अंतत: गांट्ज को पद सौंपेंगे।

इसके बाद भी नया पद माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री को मिलने वाली सभी सुविधाओं से युक्त होगा जिसमें आधिकारिक आवास और सबसे महत्वपूर्ण कानून से यह छूट कि प्रधानमंत्री के आधिकारिक पद पर नहीं रहने वाले व्यक्ति को आरोप लगने पर इस्तीफा देना होता है।

नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार, विश्वास भंग और घूस लेने के कई आरोप हैं।

एपी

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