इस्लामी उग्रवादी समूह ने भी पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिया है और उसने इजराइली शहरों में सैकड़ों रॉकेट दागे।
महज तीन दिन में दोनों शत्रुओं के बीच लड़ाई ने 2014 के उस विध्वंसक युद्ध की याद दिला दी जो 50 दिन तक चला था।
इस लड़ाई ने इजराइल में दशकों बाद भयावह यहूदी-अरब हिंसा को जन्म दिया है।
इजराइल ने सुबह होते ही कई हवाई हमले किए और गाजा में दर्जनों ठिकानों को निशाना बनाया। बुधवार को भी हवाई हमले जारी रहे थे जिससे हवा में धुएं का गुबार बन गया।
गाजा सिटी में रात को सड़कों पर वीरानी छा गई और रमजान के आखिरी दिन लोग अपने घरों के भीतर ही सिमटे रहे।
गाजा सिटी में अपनी इमारत में बम गिरने के बाद अन्य रिश्तेदारों के साथ भागकर मध्य गाजा में आए 44 वर्षीय जेयाद खत्ताब ने कहा, ‘‘कहीं पर भी भाग नहीं सकते। कहीं पर भी छिप नहीं सकते।’’
गाजा के उग्रवादी दिन भर इजराइल पर रॉकेट दागते रहे। गाजा के समीप दक्षिणी समुदायों में जनजीवन ठप हो गया है।
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 65 फलस्तीनियों की मौत हो गई है जिनमें 16 बच्चे और पांच महिलाएं शामिल हैं। इस्लामी जिहाद ने सात चरमपंथियों की मौत की पुष्टि की है जबकि हमास ने एक शीर्ष कमांडर और कई अन्य सदस्यों के मारे जाने की बात कही है।
इजराइल में कुल सात लोग मारे गए हैं जिनमें से चार की मौत बुधवार को हुई। इनमें टैंक रोधी मिसाइल से मारा गया एक सैनिक भी शामिल है और रॉकेट हमले में मारा गया छह साल का बच्चा भी शामिल है।
इजराइली सेना ने दावा किया कि हमास की बतायी संख्या से कहीं अधिक चरमपंथी मारे गए हैं।
बहरहाल, संयुक्त राष्ट्र और मिस्र के अधिकारियों ने कहा कि संघर्ष विराम के प्रयास चल रहे हैं लेकिन इसमें प्रगति के कोई संकेत नहीं है। इजराइली टेलीविजन चैनल 12 ने बुधवार देर रात बताया कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सुरक्षा मंत्रिमंडल ने हमला तेज करने के अधिकार दिये हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने गाजा में असैन्य इलाकों से इजराइली आबादी वाले इलाकों की ओर ‘‘अंधाधुंध रॉकेट दागे’’ जाने की निंदा की लेकिन साथ ही उन्होंने इजराइल से ‘‘अधिक से अधिक संयम बरतने’’ का भी अनुरोध किया।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी जे. ब्लिंकन ने नेतन्याहू से इजराइल के अपनी रक्षा करने के अधिकार का समर्थन करने का आह्वान किया और कहा कि वह तनाव खत्म करने की कोशिश के तहत एक वरिष्ठ राजनयिक को भेज रहे हैं।
हिंसा का यह दौर एक महीने पहले यरुशलम में शुरू हुआ जहां रमजान के पवित्र महीने के दौरान हथियारों से लैस इजराइली पुलिस तैनात रही और यहूदी शरणार्थियों द्वारा दर्जनों फलस्तीनी परिवारों को निर्वासित करने के खतरे ने प्रदर्शनों को हवा दी और पुलिस के साथ झड़पें हुई। अल अक्सा मस्जिद में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और प्रदर्शनकारियों पर ग्रेनेड फेंके।
यरुशलम को बचाने का दावा करने वाले हमास ने सोमवार देर रात इजराइल में कई रॉकेट दागे जिसके बाद लड़ाई शुरू हो गई।
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