ईशा फाउंडेशन ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया
Sadhguru (img: instagram)

नयी दिल्ली, 3 अक्टूबर : ईशा फाउंडेशन ने बृहस्पतिवार को मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसमें कोयंबटूर पुलिस को निर्देश दिया गया था कि वह उसके खिलाफ दर्ज सभी मामलों का विवरण एकत्र करे और आगे विचार के लिए उन्हें अदालत के समक्ष पेश करे. भारत के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेख किया गया.

फाउंडेशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया और कहा कि लगभग 500 पुलिस अधिकारियों ने फाउंडेशन के आश्रम पर छापेमारी की है और हर कोने की जांच कर रहे हैं. पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने उन दो महिलाओं से ब्योरा जानना चाहा जिनके पिता ने ईशा फाउंडेशन में अवैध रूप से बंधक बनाए जाने का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. पीठ के न्यायाधीश मामले के तथ्यों के बारे में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए दोनों महिलाओं से निजी तौर पर बातचीत करने के लिए अपने कक्ष में गए. यह भी पढ़ें : PM Modi In Mumbai On 5th Oct: प्रधानमंत्री मोदी 5 अक्टूबर को ठाणे में Ladki Bahin Yojana के कार्यक्रम में लेंगे भाग, मुंबई में मेट्रो 3 का उद्घाटन भी करेंगे

उच्च न्यायालय ने 30 सितंबर को डॉ. एस कामराज द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें उन्होंने पुलिस को निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वह उनकी दो बेटियों को अदालत के समक्ष पेश करे, जिनके बारे में उनका आरोप है कि उन्हें ईशा फाउंडेशन के अंदर बंदी बनाकर रखा गया है और उन्हें रिहा किया जाए. याचिकाकर्ता तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर से सेवानिवृत्त प्रोफेसर थे. उनकी दो बेटियां हैं और दोनों ने इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर डिग्री ली है. दोनों ही ईशा फाउंडेशन से जुड़ी थीं. याचिकाकर्ता की शिकायत यह थी कि फाउंडेशन कुछ लोगों को गुमराह करके उनका धर्म परिवर्तन कर उन्हें ‘भिक्षु’ बना रहा है और उनके माता-पिता तथा रिश्तेदारों को उनसे मिलने भी नहीं दे रहा है.