देश की खबरें | आईआरसीटीसी मामला : लालू ने अदालत में उनपर मुकदमा चलाने की मंजूरी की वैधता पर सवाल उठाया

नयी दिल्ली, चार मार्च राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने मंगलवार को भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) में कथित अनियमितताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में उन पर मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई को प्राप्त मंजूरी की वैधता पर सवाल उठाया।

पूर्व रेल मंत्री ने मामले में उनके खिलाफ आरोप तय करने के बारे में बहस के दौरान विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने के समक्ष अपने वकील के माध्यम से यह दलील दी।

इन आरोपों में आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार शामिल हैं, जिनके लिए अधिकतम सात वर्ष की जेल की सजा का प्रावधान है।

इस बीच, न्यायाधीश ने लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी एवं बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनके बेटे एवं राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की याचिका पर उन्हें मंगलवार के लिए व्यक्तिगत रूप से पेशी से छूट दे दी।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ आरोपी संख्या1 (यादव), आरोपी संख्या-2 (राबड़ी देवी), आरोपी संख्या-3 (तेजस्वी यादव) की ओर से व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट का अनुरोध करते हुए अलग-अलग आवेदन दायर किए गए हैं... सुनवाई हुई। आवेदन में दी गई दलीलों के मद्देनजर, उपरोक्त आरोपी व्यक्तियों को केवल आज के लिए व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी गई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आरोपी संख्या-1 की ओर से आरोप के पहलू पर आंशिक दलीलें सुनी गई हैं... आरोपी संख्या 1 से 4 की ओर से पहले से तय तारीख यानी पांच मार्च, 2024 को दलीलें पेश की जाएंगी।’’

यादव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने दलील दी कि इस मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कोई सबूत नहीं है।

अधिवक्ता ने अदालत को बताया, ‘‘सीबीआई ने पहले कहा कि मेरे मुवक्किल पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी प्राप्त करने की कोई आवश्यकता नहीं है, जो कानूनी रूप से सही नहीं था। इसके बाद, उन्होंने गलत तरीके से मंजूरी दाखिल की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे मुवक्किल के खिलाफ आरोप यह है कि उन्होंने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया है, इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह सेवा मुक्त हैं या नहीं। कानून के अनुसार मंजूरी लेनी होती है। अगर ऐसा नहीं है, तो आरोप तय नहीं किए जा सकते।’’

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 28 फरवरी को अदालत को सूचित किया था मामले में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।

यह मामला आईआरसीटीसी के दो होटलों के परिचालन का ठेका एक निजी कंपनी को देने में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है।

सीबीआई के आरोपपत्र के अनुसार, 2004 से 2014 के बीच एक साजिश रची गई थी जिसके तहत पुरी और रांची में स्थित भारतीय रेलवे के बीएनआर होटलों को पहले आईआरसीटीसी को हस्तांतरित किया गया और बाद में इसके संचालन, रखरखाव और देखभाल के लिए बिहार के पटना से संचालित सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को पट्टे पर दे दिया गया।

एजेंसी ने आरोप लगाया कि निविदा प्रक्रिया में धांधली और हेराफेरी की गई तथा निजी पक्ष (सुजाता होटल्स) की मदद करने के लिए शर्तों में फेरबदल किया गया।

आरोप पत्र में आईआरसीटीसी के तत्कालीन समूह महाप्रबंधक वी के अस्थाना और आर के गोयल तथा सुजाता होटल्स के निदेशकों और चाणक्य होटल के मालिकों विजय कोचर, विनय कोचर का भी नाम है।

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