महाराष्ट्र सरकार ने लॉकडाउन लागू होने के बावजूद डीएचएफएल के प्रमोटरों कपिल वधावन और धीरज वधावन को यात्रा करने की अनुमति देने के लिए एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को शुक्रवार को अनिवार्य अवकाश पर भेज दिया. गृह मंत्री अनिल देशमुख ने यह जानकारी दी. आईपीएस अधिकारी ने वधावन परिवार में किसी आपात स्थिति का हवाला देकर उसके सदस्यों को बंद के नियमों से छूट देने का पत्र जारी किया था.
देशमुख ने ट्वीट किया, ‘‘माननीय मुख्यमंत्री के साथ विचार-विमर्श के बाद प्रधान सचिव (विशेष) अमिताभ गुप्ता को उनके खिलाफ शुरू होने वाली जांच लंबित रहने तक तत्काल प्रभाव से अनिवार्य अवकाश पर भेज दिया गया है.’’ पुलिस ने बताया कि वधावन परिवार के सदस्यों को बंद के बीच निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के लिए बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र में सतारा जिले के महाबलेश्वर में हिरासत में लिया गया था.
एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने वधावन परिवार के सदस्यों समेत 23 लोगों को उनके फार्महाउस में पाया. स्थानीय पुलिस अधिकारियों के अनुसार कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये पुणे और सतारा दोनों जिलों को सील कर दिया गया है. इसके बावजूद वधावन परिवार के सदस्यों समेत कई लोगों ने बुधवार शाम अपनी कारों से खंडाला से महाबलेश्वर की यात्रा की.
कपिल और धीरज वधावन यस बैंक और डीएचएफएल धोखाधड़ी मामलों में आरोपी हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने 17 मार्च को पेश होने के लिए यस बैंक मामले में दोनों को समन जारी किए थे लेकिन दोनों महामारी का हवाला देते हुए पेश नहीं हुए थे. पुलिस ने कहा कि नगर निगम के अधिकारियों ने उन्हें ‘दीवान फार्म हाउस’ में देखा था.
विपक्षी भाजपा ने वधावन परिवार के सदस्यों को यात्रा की अनुमति दिए जाने की निंदा की है. पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘‘क्या महाराष्ट्र में अमीरों और धनवानों के लिए कोई लॉकडाउन नहीं है? कोई भी पुलिस की आधिकारिक अनुमति से महाबलेश्वर में छुट्टियां बिता सकता है.’’
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