नयी दिल्ली, 12 अप्रैल महामारी के बीच अर्थव्यवस्था में फिर से सुस्ती दिख रही है। विनिर्माण और खनन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के कारण इस साल फरवरी में लगातार दूसरे महीने औद्योगिक उत्पादन में 3.6 प्रतिशत की गिरावट आयी है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के सोमवार को जारी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) आधारित आंकड़ों से यह पता चलता है। इसके अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 77.63 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र में फरवरी, 2021 में 3.7 प्रतिशत की गिरावट आयी।
आलोच्य माह में खनन उत्पादन में 5.5 प्रतिशत की कमी आयी जबकि बिजली उत्पादन 0.1 प्रतिशत बढ़ा।
पिछले साल फरवरी महीने में आईआईपी में 5.2 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
औद्योगिक उत्पादन पर पिछले साल मार्च से कोविड-19 महामारी का प्रभाव है। उस समय इसमें 18.7 प्रतिशत गिरावट आयी थी। उसके बाद अगस्त तक इसमें गिरावट बनी रही।
आर्थिक गतिविधियां शुरू होने के साथ सितंबर 2020 में औद्योगिक उत्पादन में एक प्रतिशत की वृद्धि हुई। वहीं अक्टूबर में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालांकि, नवंबर में इसमें 1.6 प्रतिशत गिरावट आयी। फिर दिसंबर में इसमें 1.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी।
इस बीच, जनवरी 2021 के आईआईपी आंकड़े को संशोधित किया गया है। इसके अनुसार इसमें 0.9 प्रतिशत की गिरावट आयी थी जबकि मार्च 2021 में जारी आंकड़े में इसमें 1.6 प्रतिशत की गिरावट की बात कही गयी थी।
सरकार ने कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये 25 मार्च, 2020 को ‘लॉकडाउन’ लगाया था।
पाबंदियों में धीरे-धीरे ढील दिये जाने के बाद से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आयी।
पिछले साल फरवरी में विनिर्माण क्षेत्र में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी।
वहीं खनन क्षेत्र में इसी माह में 9.6 प्रतिशत जबकि बिजली उत्पादन में 11.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
निवेश का आईना माना जाने वाला पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन फरवरी 2021 में 4.2 प्रतिशत घटा जबकि एक साल पहले इसी माह में इसमें 9.6 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।
टिकाऊ उपभोक्ता सामान के उत्पादन में आलोच्य महीने में 6.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि एक साल पहले फरवरी 2020 में इसमें 6.2 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।
गैर-टिकाऊ उपभोक्ता सामानों के उत्पादन में फरवरी 2021 में 3.8 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले इसी महीने में यह 0.3 प्रतिशत घटा था।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2020-21 की अप्रैल-फरवरी अवधि के दौरान आईआईपी में 11.3 प्रतिशत की गिरावट रही है जबकि इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी अवधि में इसमें एक प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
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