पिछले 200 वर्षों में जलवायु परिवर्तन में भारत का योगदान सिर्फ 3 प्रतिशत: प्रकाश जावड़ेकर

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को कहा कि पिछले 200 वर्षों में विशेष रूप से यूरोप और अमेरिका तथा पिछले 40 वर्षों में चीन द्वारा अनियंत्रित कार्बन उत्सर्जन के कारण जलवायु परिवर्तन संकट पैदा हुआ है.

प्रकाश जावड़ेकर (Photo Credits-ANI Twitter)

नई दिल्ली: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने सोमवार को कहा कि पिछले 200 वर्षों में विशेष रूप से यूरोप और अमेरिका तथा पिछले 40 वर्षों में चीन द्वारा अनियंत्रित कार्बन उत्सर्जन के कारण जलवायु परिवर्तन संकट पैदा हुआ है. जावड़ेकर ने यह भी कहा कि पिछले 200 वर्षों में हुए जलवायु परिवर्तन में भारत का योगदान केवल तीन प्रतिशत रहा है. उन्होंने कहा कि पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण के एक हिस्से के रूप में विकसित देशों पर विकासशील देशों की 1100 अरब अमेरिकी डॉलर की देनदारी है। रविवार को संपन्न समूह सात के शिखर सम्मेलन में इस पर चर्चा की गई.

जावड़ेकर डिजिटल तरीके से आयोजित एक पर्यावरण सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 200 वर्षों में हुए जलवायु परिवर्तन में भारत का योगदान सिर्फ तीन प्रतिशत है... यूरोप, अमेरिका और पिछले 40 वर्षों में चीन द्वारा अनियंत्रित कार्बन उत्सर्जन जलवायु परिवर्तन संकट का कारण बना. इन देशों ने आर्थिक रूप से समृद्धि हासिल की लेकिन दुनिया को प्रदूषित कर दिया.’ जावड़ेकर ने फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन (एफएलओ) द्वारा आयोजित वेबिनार में कहा, "भारत जलवायु परिवर्तन में सबसे कम योगदान देने वाले देशों में से एक है." एफएलओ शीर्ष व्यापार निकाय भारतीय उद्योग एवं वाणिज्य मंडल महासंघ (फिक्की) की एक शाखा है. यह भी पढ़े: भारत के जलवायु परिवर्तन पर जारी हुई रिपोर्ट, बीते 30 वर्षों में तापमान तेज़ी से बढ़ा

उन्होंने कहा कि पेरिस समझौते के तहत अमीर देशों ने विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद के लिए हर साल 100 अरब अमेरिकी डॉलर देने का वादा किया है.‘‘लेकिन पिछले 11 वर्षों से कुछ नहीं आया है. कल समाप्त हुई समूह - सात की बैठक में उन्होंने इस वित्तीय मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा की क्योंकि उन्हें मालूम है कि वे इसे और नहीं रोक सकते.उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के कारण बंद स्कूल जेसे ही खुलते हैं, उनका मंत्रालय 5,000 स्कूलों में नर्सरी कार्यक्रम शुरू करेगा। इस कार्यक्रम के तहत कक्षा छह से आठ तक के छात्र पौधे लगाएंगे और स्कूल से पास होने तक उनका पालन-पोषण करेंगे.

फिक्की एफएलओ ने एक बयान में कहा कि इस आयोजन का मकसद पर्यावरण से संबंधित मुद्दों को लेकर जागरूकता फैलाना और एक बेहतर दुनिया के लिए सामूहिक रूप से मिलकर काम करना था। फिक्की एफएलओ की अध्यक्ष उज्ज्वला सिंघानिया ने कार्यकम में कहा कि एफएलओ अपने सदस्यों के उद्यमों को तीन प्रमुख बिंदुओं- लाभ, लोग और ग्रह का प्रबंधन करने के लिए प्रोत्साहित करता है.

उन्होंने कहा, ‘‘एक ऐसा विकास मॉडल तैयार करने की तत्काल जरूरत है जो जिम्मेदार और पर्यावरण के अनुकूल सरकारी नीतियों पर केंद्रित हो तथा जिससे प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा मिले।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एफएलओ ने इस साल पूरे भारत में हमारे 18 चैप्टर द्वारा एक लाख से अधिक पेड़ लगाने का संकल्प लिया है। इस पहल की प्रभावशाली शुरुआत विश्व पर्यावरण दिवस पर की गई थी.

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