मुंबई, 21 सितंबर क्रिसिल रिसर्च के मुताबिक भारतीय इस्पात विनिर्माता कई सालों में पहली बार अप्रैल-अगस्त के दौरान चीन को शुद्ध निर्यातक बने हैं। कोरोना वायरस महामारी के चलते कमजोर घरेलू मांग के कारण ऐसा हुआ।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अप्रैल और अगस्त के दौरान अर्द्ध रूप से तैयार इस्पात के 69 प्रतिशत और तैयार इस्पात के 28 प्रतिशत के साथ भारत कई वर्षों में पहली बार चीन को शुद्ध निर्यातक बन गये हैं।
एजेंसी ने कहा कि प्राथमिक इस्पात निर्माताओं ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के बीच अपने कुल उत्पादन का 60-80 प्रतिशत निर्यात किया और निर्यात में चीन अग्रणी रहा।
एजेंसी ने कहा कि अप्रैल-अगस्त के बीच घरेलू मांग में 38 प्रतिशत की भारी गिरावट के बावजूद कच्चे इस्पात के उत्पादन में 27 प्रतिशत की कमी हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू लॉकडाउन में राहत के बाद जून में इस्पात की घरेलू मांग में इजाफा हुआ।
चीन अपनी कुल लौह अयस्क मांग के 90 प्रतिशत से ज्यादा का आयात करता है और उसने इन महीनों के दौरान वैश्विक स्तर पर आयात की अगुवाई की।
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