नयी दिल्ली, 15 सितंबर: भारत निपाह वायरस संक्रमण के इलाज के लिए ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की 20 और खुराक खरीदेगा. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक राजीव बहल ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. यह भी पढ़ें: निपाह वायरस : सोशल मीडिया पर फर्जी खबर पोस्ट करने के आरोपी पर मुकदमा
केरल में निपाह वायरस संक्रमण के मामले बार-बार सामने आने और कोविड-19 के मुकाबले मृत्यु दर काफी ज्यादा होने के बीच बहल ने कहा कि आईसीएमआर इस संक्रामक बीमारी से निपटने के लिए एक टीका विकसित करने पर भी काम शुरू करने की योजना बना रहा है.
बहल ने कहा कि निपाह में संक्रमित लोगों की मृत्यु दर बहुत अधिक है (40 से 70 प्रतिशत के बीच), जबकि कोविड में मृत्यु दर 2-3 प्रतिशत थी. उन्होंने कहा, ‘‘हमें 2018 में ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की कुछ खुराकें मिलीं। वर्तमान में खुराकें केवल 10 मरीजों के लिए उपलब्ध हैं.’’
उन्होंने कहा कि भारत के बाहर निपाह वायरस से संक्रमित 14 मरीजों को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दी गई और वे सभी बच गए हैं. उन्होंने कहा कि दवा के सुरक्षित होने को तय करने के लिए केवल चरण-1 का परीक्षण बाहर किया गया है. प्रभावक्षमता का परीक्षण नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि इसे केवल उन्हीं रोगियों को दिया जा सकता है, जिनके इलाज के लिये कोई अधिकृत संतोषजनक उपचार विधि नहीं है.
उनके मुताबिक, भारत में अब तक किसी को भी यह दवा नहीं दी गई है. आईसीएमआर के महानिदेशक ने कहा, ‘‘20 और खुराक खरीदी जा रही हैं. लेकिन संक्रमण के शुरुआती चरण में ही दवा देने की जरूरत है.’’ उन्होंने जोर देकर कहा कि केरल में वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सभी प्रयास जारी हैं.
उन्होंने कहा, सभी मरीज ‘इंडेक्स मरीज’ (संक्रमण की पुष्टि वाले पहले मरीज) के संपर्क में आने से संक्रमित हुए हैं. निपाह के लिए टीका विकसित करने पर काम शुरू करने की आईसीएमआर की योजना पर बहल ने कहा कि इस प्रक्रिया के तहत उन साझेदारों की तलाश की जा रही है जो इसे बना सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘इस समय हमारी सबसे बड़ी कामयाबी यह है कि हमने कोविड के दौरान विविध तरीकों से टीके विकसित किए हैं जैसे कि डीएनए टीके, एमआरएनए टीके, एडेनोवायरल वेक्टर टीके हैं, और हम निपाह संक्रमण जैसी बीमारी के खिलाफ नए टीके विकसित करने के लिए इन विविध तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं.’’
केरल में मामले क्यों सामने आ रहे हैं, इस पर बहल ने कहा, ‘‘हम नहीं जानते। 2018 में, हमने पाया कि केरल में यह प्रकोप चमगादड़ों से संबंधित था. हमें पता नहीं है कि संक्रमण चमगादड़ों से मनुष्यों में कैसे पहुंचा. कड़ी जुड़ नहीं सकी. इस बार फिर हम पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। बरसात के मौसम में ऐसा हमेशा होता है.’’
निपाह संक्रमण में उच्च मृत्यु दर को देखते हुए बहल ने कहा कि एहतियात बरतना सबसे अच्छा विकल्प है. उसने लोगों को सामाजिक दूरी बरतने, मास्क पहनने और ऐसे कच्चे खाद्य पदार्थ न खाने की सलाह दी है जो चमगादड़ के संपर्क में आए हों.
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