(फाइल फोटो के साथ)
वाशिंगटन, 24 जुलाई अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच सभी मोर्चों पर उच्च स्तरीय यात्राओं के साथ द्विपक्षीय संबंध और घनिष्ठ हुए हैं तथा भारत एवं अमेरिका के बीच इससे पहले इतने मजबूत संबंध कभी नहीं थे।
राष्ट्रपति जो बाइडन के निमंत्रण पर मोदी अमेरिका की यात्रा पर गए थे और 21 जून एवं 23 जून के बीच वहां प्रवास के दौरान उन्होंने तीनों दिन बाइडन से मुलाकात की थी।
अधिकारी ने कहा कि दोनों नेताओं ने 22 जून को आठ घंटे से अधिक समय तक एक साथ वक्त बिताया। बाइडन ने 21 जून को मोदी के लिए निजी रात्रिभोज का भी आयोजन किया था।
मोदी की यात्रा के बाद अधिकारी ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच इससे पहले कभी इतने मजबूत संबंध नहीं थे।
अधिकारी ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच चर्चा का प्रमुख विषय चीन था।
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहा, ‘‘हकीकत में दोनों देशों के संबंध चीन के मोहताज नहीं है, लेकिन वह एक कारक है और मुझे लगता है कि चीन का मुद्दा लंबे समय तक हमारे बीच छाया रहा रहेगा।’’
अधिकारी ने कहा कि अमेरिका और भारत दोनों का मानना है कि चीन उनके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर एक बड़ा खतरा बना हुआ है। बाइडन प्रशासन का मानना है कि चीन से निपटने के मामले में भारत अमेरिका से आगे रहा है।
अधिकारी ने कहा कि नागरिक सुरक्षा, लोकतंत्र और मानवाधिकार मामलों की अवर सचिव उजरा जेया ने कुछ हफ्ते पहले नयी दिल्ली में दलाई लामा के साथ एक बैठक की थी और ‘‘चीन इसे लेकर आगबबूला हो गया था’’।
उन्होंने कहा, ‘‘वे (भारतीय हैं) कुछ मायनों में हमसे आगे हैं। चीन के खतरे का मुकाबला करने की दृष्टि से यह उनके लिए कहीं अधिक अस्तित्व संबंधी विषय है। चाहे वह टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाना हो, चाहे वह बिना किसी चीनी उपकरण के मोबाइल नेटवर्क का निर्माण करना हो। उन्होंने वास्तव में जोखिम से आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया है और इसीलिए मुझे लगता है कि वे (चीन) इतने आलोचनात्मक हैं।’’
अधिकारी ने जी-20 चर्चाओं और भारत द्वारा सभी हितधारकों को एक साथ लाने के प्रयासों पर कहा, ‘‘साथ ही वे अब भी बहुत सारे चीनी उत्पादों पर निर्भर हैं, जैसा कि हम भी करते हैं। चीन उनके लिए जी-20 में एक वास्तविक अड़चन रहा है। रूस भी...।’’
प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत में ‘‘मोदी की लोकप्रियता कुछ चुनावों में 80 प्रतिशत रही। अमेरिका में भी यही स्थिति है’’।
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