भारत ने मशाल द्वीप और मिक्रोनेशिया में भारत से गए कफ सीरप में शिकायत मिलने के बाद उसे बनाने वाली दवा कंपनी का लाइसेंस निलंबित कर दिया है. सरकार ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से शिकायत के बाद यह कदम उठाया है.पिछले साल गांबिया और उज्बेकिस्तान में भारत में बने कफ सीरप से कथित तौर पर करीब 89 बच्चों की मौत हो गयी थी. जिसके बाद भारत की नियामक एजेंसी दवा बनाने वाली कंपनियों की जांच कर रही है. दवा में गड़बड़ियों की शिकायत से भारत की वैश्विक स्तर पर सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने वाली "दुनिया की फार्मेसी" छवि को नुकसान पहुंचा है.
कैमरून में कफ सीरप से मौत
डब्ल्यूएचओ ने उत्तरी पंजाब की क्यूपी फार्माकेम लिमिटेड के कफ सीरप के कुछ सैंपल को टेस्ट के बाद इंसानों के लिए घातक बताया था. सैंपल में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा मानक से काफी ज्यादा थी. स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने संसद को बताया, "मैन्युफैक्चरिंग परिसर से लिए गए दवा के नमूनों को 'मानक गुणवत्ता का नहीं' घोषित किया गया." पवार ने कहा, क्यूपी फार्माकेम लिमिटेड और दो अन्य कंपनियों के मेडेन फार्मास्यूटिकल्स और मैरियन बायोटेक प्राइवेट के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं और उनका निर्यात रोक दिया गया है.
मेडेन फार्मास्यूटिकल्स और मैरियन बायोटेक ने भी किसी भी गलत काम से इनकार किया है. कंपनी ने उस पर लगे आरोपों से इनकार किया है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कंपनी ने बताया है कि वह निलंबन के खिलाफ अपील करेगी. क्यूपी फार्माकेम के प्रबंध निदेशक सुधीर पाठक का कहना है कि कंपनी ने निलंबन आदेश के खिलाफ सरकार के पास अपील करने की योजना बनाई है.फिलहाल उत्पादन रोक दिया गया है.पाठक ने कहा कि उन्होंने गुइफेनेसिन टीजी नाम के कफ सीरप का उत्पादन शुरू करने से पहले इसमें प्रयुक्त सामग्री का परीक्षण किया था. उनका यह भी कहना है कि उन्होंने केवल कंबोडिया को उत्पाद निर्यात किया था. यह दवा मशाल द्वीप और मिइक्रोनेशिया तक कैसे पहुंची इसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं है.
भारत ने जून से कफसीरप निर्यात का परीक्षण सख्त कर दिया है. कंपनियों को दवाओं का निर्यात करने से पहले एक सरकारी लैब में उसकी जांच करानी होगी. विश्लेषण के बाद सरकारी लैब की तरफ से प्रमाण पत्र दिया जाएगा और उसके बाद ही दवा के निर्यात को मंजूरी मिलेगी. सरकार समर्थित व्यापार संघ ने जानकारी दी है कि इस वित्तीय वर्ष में भारत के फार्मास्युटिकल निर्यात पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुना होगा. उम्मीद जताई जा रही है कि यह 27 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है. सीरप के इस्तेमाल से जुड़ी मौतों के बाद भी अमेरिका भारी मात्रा में दवा खरीद रहा है. यही वजह है कि दवा बाजार में बढ़त बनी हुई है.
पीवाई/एनआर (रॉयटर्स)