देश की खबरें | डब्ल्यूटीओ अनुमति दे तो भारत अपने भंडार से दुनिया को खाद्य सामग्री की आपूर्ति करने को तैयार: मोदी

अहमदाबाद, 12 अप्रैल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से हुई उनकी बातचीत के दौरान उन्होंने प्रस्ताव दिया कि यदि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) अनुमति देता है तो भारत अपने भंडार से खाद्य सामग्रियों की आपूर्ति दुनिया को कर सकता है।

गुजरात के अडालज में श्री अन्नपूर्णाधाम न्यास के छात्रावास एवं शिक्षा परिसर का वीडियो कांफ्रेंस के जरिये उद्घाटन और जनसहायक ट्रस्ट के हीरामणि आरोग्यधाम का भूमिपूजन करने के बाद अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि (रूस-यूक्रेन) युद्ध के चलते दुनिया के विभिन्न हिस्सों में खाद्य भंडार कम होता जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के बीच सोमवार को वर्चुअल बैठक हुई थी।

मोदी ने कहा, ‘‘दुनिया आज अनिश्चय की स्थिति का सामना कर रही है क्योंकि जिसे जो चाहिए वह मिल नहीं रहा है। पेट्रोल, तेल, खाद की खरीदारी में कठिनाई आ रही है क्योंकि सभी दरवाजे बंद होते जा रहे हैं। इस (रूस-यूक्रेन) युद्ध के बाद हर कोई अपने भंडार को सुरक्षित रखना चाहता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया अब एक नये संकट का सामना कर रही है... दुनिया का खाद्य भंडार खाली होता जा रहा है... मैं अमेरिकी राष्ट्रपति से बात कर रहा था... उन्होंने भी यह मुद्दा उठाया। मैंने सुझाव दिया कि यदि डब्ल्यूटीओ अनुमति देता है तो भारत कल से ही दुनिया को खाद्य भंडार की आपूर्ति शुरु करने को तैयार है।’’

मोदी ने कहा कि भारत के पास अपने लोगों के लिए पर्याप्त खाद्यान्न हैं लेकिन लगता है कि देश के किसानों ने दुनिया को खिलाने की भी व्यवस्था कर ली है।

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि हमें दुनिया के कानूनों के अनुरूप काम करना होगा। मुझे नहीं पता कि डब्ल्यूटीओ कब अनुमति देगा और हम दुनिया को खाद्य आपूर्ति कर सकेंगे।’’

मोदी ने कहा कि दुनिया इस बात से चकित है कि कोविड-19 महामारी फैलने के बाद भारत अपने 80 करोड़ नागरिकों को दो वर्षों से मुफ्त राशन दे रहा है।

अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने गुजरात के पाटीदार समाज की सराहना की और कहा कि जरूरतमंदों की मदद में वह हमेशा आगे रहते हैं।

उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को कनाडा से वापस काशी लाया गया है जिसे दशकों पहले काशी से चुरा कर विदेशों में पहुंचा दिया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘अपनी संस्कृति के ऐसे दर्जनों प्रतीकों को बीते सात-आठ सालों में विदेशों से वापस लाया जा चुका है।’’

रासायनिक खादों से खेतों को होने वाले नुकसान का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने गुजरात के किसानों से प्राकृतिक खेती की ओर रुख करने का आह्वान किया और कहा कि तीन से चार सालों के भीतर उन्हें इसके अच्छे परिणाम भी मिलने लगेंगे।

प्रधानमंत्री ने इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की जमकर सराहना की और कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान उनकी सरकार ने बहुत अच्छा काम किया।

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