देश की खबरें | सीमा पर तनाव के बीच भारत ने पैंगोंग झील इलाके में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर उपस्थिति बढ़ाई
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. पूर्वी लद्दाख में यथा स्थिति में बदलाव करने को लेकर चीन की ‘‘उकसाने वाली कार्रवाई’’ को नाकाम करने के कुछ दिनों बाद भारत ने पैंगोंग सो इलाके के दक्षिणी तट पर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण कम से तीन पर्वत चोटियों पर अपनी उपस्थिति और मजबूत की है। सरकारी सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
नयी दिल्ली, दो सितंबर पूर्वी लद्दाख में यथा स्थिति में बदलाव करने को लेकर चीन की ‘‘उकसाने वाली कार्रवाई’’ को नाकाम करने के कुछ दिनों बाद भारत ने पैंगोंग सो इलाके के दक्षिणी तट पर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण कम से तीन पर्वत चोटियों पर अपनी उपस्थिति और मजबूत की है। सरकारी सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय सीमा के अंदर पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर भी एहतियाती उपायों के तहत सैनिकों की तैनाती में कुछ बदलाव किये गये हैं। इलाके में स्थिति संवेदनशील बनी हुई है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि तनाव घटाने के लिये दोनों पक्षों के सेना कमांडरों की बुधवार को हुई एक और दौर की वार्ता बेनतीजा रही। यह बातचीत करीब सात घंटे चली।
सूत्रों ने यह भी बताया कि सोमवार और मंगलवार को छह घंटे से अधिक समय तक इसी तरह की वार्ता हुई, लेकिन कोई ‘‘ठोस नतीजा’’ नहीं निकला
उन्होंने बताया कि भारत ने पूर्वी लद्दाख में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण कई पर्वत चोटियों और स्थानों पर उपस्थिति बढ़ा कर पिछले कुछ दिनों में रणनीतिक बढ़त हासिल की है।
क्षेत्र में यथा स्थिति में बदलाव करने की चीन की नाकाम कोशिशों के मद्देनजर सैनिकों की तैनाती बढ़ाई गई है।
सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर एक टकराव हुआ था, लेकिन इस तरह की घटना इसके दक्षिणी तट पर पहली बार हुई।
सैन्य वार्ता में चीनी पक्ष ने क्षेत्र में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण कुछ पर्वत चोटियों पर भारत के अपने नियंत्रण में करने पर आपत्ति जताई। लेकिन भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने इस बात का जिक्र किया कि ये स्थान एलएसी के भारतीय सीमा के अंदर हैं।
उनहोंने कहा कि भारत वार्ता के जरिये सीमा विवाद का हल चाहता है लेकिन साथ ही वह एलएसी पर चीन के किसी भी दुस्साहस से निपटेगा।
चीनी कोशिशों के मद्देनजर भारतीय थल सेना ने 3,400 किमी लंबे एलएसी पर अपने सभी अग्रिम सैन्य ठिकानों को चौबीसों घंटे सतर्क रहने के लिये अलर्ट कर दिया है।
गलवान घाटी झड़प के बाद भारत ने अरूणाचल प्रदेश और सिक्किम सहित सभी सीमावर्ती इलाकों में अतिरिक्त सैनिक एवं हथियार प्रणाली भेजी हैं।
सोमवार को भारतीय थल सेना ने कहा कि चीनी सेना ने 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात पैंगोंग झील के दक्षिण तट पर यथा स्थिति में एकतरफा तरीके से बदलाव करने के लिये ‘‘उकसाने वाली सैन्य गतिविधियां’’ की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्ताव ने मंगलवार को कहा था कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने सोमवार को एक बार फिर ‘‘उकसाने वाली कार्रवाई’’ की, जब दोनों पक्षों के कमांडर दो दिन पहले पैंगोंग झील इलाके में यथास्थिति बदलने की चीनी कोशिशों के बाद तनाव घटाने के लिये बातचीत कर रहे थे।
एक सूत्र ने कहा, ‘‘इलाके में स्थिति संवेदनशील बनी हुई है। ’’
बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने आरोप लगाया कि सीमा पर तनाव की पूरी जिम्मेदारी भारतीय पक्ष पर है।
उन्होंने कहा, ‘‘चीन ने तनाव टालने के लिये बहुत संयम बरता है। ’’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को पूर्वी लद्दाख में स्थिति की व्यापक समीक्षा की। इस सिलसिले में चली बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया सहित अन्य शामिल हुए थे।
सूत्रों ने बताया, ‘‘लगभग दो घंटे चली बैठक में यह निर्णय लिया गया कि भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ सभी संवेदनशील क्षेत्रों में अपना आक्रामक रुख जारी रखेगी ताकि चीन के किसी भी ''दुस्साहस'' से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।’’
उन्होंने बताया कि भारतीय थल सेना ने पैंगोंग झील के दक्षिणी तट इलाके के आसपास अपनी उपस्थिति और बढ़ाई है। साथ ही, टैंक तथा टैंक रोधी मिसाइलों सहित अधिक हथियार प्रणाली लायी गयी हैं।
इलाके में विशेष सीमांत बल की एक बटालियन तैनात की गई है।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायुसेना ने भी पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी हवाई गतिविधियां बढ़ने पर अपनी निगरानी बढ़ा दी है।
खबर है कि चीन ने पूर्वी लद्दाख से करीब 310 किमी दूर स्थित सामरिक रूप से अहम होटन एयरबेस पर जे-20 लंबी दूरी के लड़ाकू विमान तैनात किये हैं।
वहीं, भारतीय वायुसेना ने भी पिछले तीन महीनों में अग्रिम मोर्चे के अपने कई लड़ाकू विमान पूर्वी लद्दाख एवं एलएसी पर अन्य स्थानों पर अहम सीमांत एयर बेस पर तैनात किये हैं। इनमें सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 लड़ाकू विमान शामिल हैं।
गलवान घाटी में 15 जून को हुई झड़प के बाद से पैंगोंग झील इलाके में यथास्थिति में बदलाव करने की चीन की ताजा कोशिश क्षेत्र में पहली बड़ी घटना है।
उस झड़प में 20 भारतीय सैन्य कर्मी शहीद हो गये थे।
चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे लेकिन चीन ने उसका विवरण सार्वजनिक नहीं किया। हालांकि, अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक उस घटना में 35 चीनी सैनिक हताहत हुए थे।
पिछले ढाई महीने में भारत और चीन ने कई सैन्य एवं राजनयिक स्तर की वार्ता की हैं लेकिन पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद का समाधान करने में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।
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