नयी दिल्ली, नौ जनवरी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत में अगले तीन साल में जैविक उत्पादों का निर्यात बढ़ाकर 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने की क्षमता है।
उन्होंने जैविक उत्पाद मानकों में स्पष्टता और पारदर्शिता बढ़ाने के साथ-साथ वैश्विक इन्हें मानकों के अनुरूप ढ़ालने के उद्देश्य से नए नियमों के साथ राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) के आठवें संस्करण को जारी करते हुए यह बात कही।
गोयल ने उद्योग निकाय फिक्की के साथ साझेदारी में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘फिलहाल हमारा जैविक उत्पाद निर्यात 5,000-6,000 करोड़ रुपये है। अगले तीन साल में हम आसानी से 20,000 करोड़ रुपये का निर्यात हासिल कर सकते हैं, जो मौजूदा स्तर से करीब तीन से साढ़े तीन गुना अधिक होगा।’’
उन्होंने कहा कि इन उत्पादों की वैश्विक मांग करीब एक लाख करोड़ रुपये की है, जो आने वाले वर्षों में बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है, यह एक अनूठा अवसर है जिसे भारत को नहीं गंवाना चाहिए।
भारत में पहले से ही दुनिया में सबसे ज्यादा किसान जैविक खेती कर रहे हैं।
उन्होंने स्टार्टअप कंपनियों से ऐसे समाधान निकालने को कहा जो इस क्षेत्र के विकास में मदद करें।
मई, 2001 में अपनी स्थापना के बाद से एनपीओपी में कई संशोधन हुए हैं। आठवां संस्करण भारत में जैविक उत्पादों को नियंत्रित करने वाले नियामकीय ढांचे में एक महत्वपूर्ण अद्यतन बदलाव है, जिसमें अंतिम संशोधन वर्ष 2014 में हुआ था।
एनपीओपी के आठवें संस्करण की प्रमुख विशेषताओं में किसान-अनुकूल नियम, सुव्यवस्थित प्रमाणन, बढ़ी हुई पारदर्शिता और संशोधित ट्रेसेबिलिटी (उत्पत्ति स्थल का पता लगाना) प्रणाली शामिल हैं।
आठवें संस्करण का उद्देश्य भारत के जैविक निर्यात क्षेत्र को बढ़ावा देना है, जिसका महत्वाकांक्षी लक्ष्य वर्ष 2030 तक जैविक खाद्य निर्यात को दो अरब डॉलर तक पहुंचाना है।
सहकारिता राज्यमंत्री कृष्ण पाल गुर्जर और मुरलीधर मोहोल, वाणिज्य राज्यमंत्री जितिन प्रसाद और सहकारिता सचिव आशीष कुमार भूटानी भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे।
एनपीओपी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में जैविक उत्पादों की विश्वसनीयता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सुनिश्चित करता है कि ‘जैविक’ के रूप में लेबल किए गए कृषि उत्पाद कड़े मानकों पर खरे उतरें, जिससे उपभोक्ता हितों की रक्षा हो और टिकाऊ कृषि व्यवहार को बढ़ावा मिलता रहे।
वाणिज्य मंत्रालय इसकी देखरेख करता है, जबकि कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) इसके कार्यान्वयन का प्रबंधन करता है।
इस अवसर पर, जैविक अंशधारकों के लिए अधिक दृश्यता और संचालन में सुगमता के लिए एक समर्पित एनपीओपी पोर्टल शुरू किया गया। एक उन्नत पुन: डिज़ाइन किए गए एपीडा पोर्टल के साथ-साथ एक कृषि एक्सचेंज पोर्टल का भी अनावरण किया गया।
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