भारत में 2014 में तेंदुओं की संख्या 8,000 थी, 2018 में बढ़कर 12,000 से अधिक हुई: प्रकाश जावड़ेकर

भारत में तेंदुओं की संख्या बढ़कर 2018 में 12,000 से अधिक हो गई, जहां 2014 में यह करीब 8,000 थी. पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को यह जानकारी दी

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

नई दिल्ली:  भारत में तेंदुओं की संख्या बढ़कर 2018 में 12,000 से अधिक हो गई, जहां 2014 में यह करीब 8,000 थी. पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को यह जानकारी दी और कहा कि तेंदुओं के अलावा देश में बाघ और शेरों की संख्या भी बढ़ी है जो दिखाता है कि देश अपनी पारिस्थितिकी और जैव विविधता दोनों की अच्छे से रक्षा कर रहा है. ‘भारत में 2018 में तेंदुओं की स्थिति’ शीर्षक से रिपोर्ट जारी करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि तेंदुओं की संख्या का आकलन उनकी तस्वीरें लेने की प्रक्रिया के जरिए किया गया.

उन्होंने कहा, ‘‘2014 में तेंदुओं की संख्या 8,000 थी. बाघों, एशियाई शेरों और अब तेंदुओं की संख्या में वृद्धि दर्शाती है कि किस तरह भारत अपने यहां पर्यावरण, पारिस्थितिकी और जैव विविधता की रक्षा कर रहा है.’’

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2018 में तेंदुओं की संख्या 12,852 थी, जिनमें से सबसे अधिक 3,421 तेंदुए मध्य प्रदेश में पाए गए. कर्नाटक में इनकी संख्या 1,783 और महाराष्ट्र में 1,690 है.

क्षेत्रवार वितरण के अनुसार मध्य भारत और पूर्वी घाटों में तेंदुओं की संख्या सर्वाधिक है जो 8,071 है. इस क्षेत्र में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश हैं.

पश्चिमी घाट क्षेत्र जिसमें कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा और केरल के क्षेत्र शामिल हैं वहां 3,387 तेंदुए जबकि शिवालिक एवं गंगा के मैदानी इलाके जिसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार के क्षेत्र आते हैं उनमें 1,253 तेंदुए पाए गए. पूर्वोत्तर के पहाड़ी क्षेत्र में सिर्फ 141 तेंदुए पाए गए.

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