नयी दिल्ली, 11 सितंबर भारत और ऑस्ट्रेलिया ने शनिवार को उन आलोचनाओं को खारिज कर दिया कि ‘क्वाड’ एक प्रकार का ‘एशियाई नाटो’ है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि यह जरूरी है कि वास्तविकता को ‘गलत तरीके से प्रस्तुत’ नहीं किया जाए।
विदेश मंत्री जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष मारिसे पायने और पीटर डटन के साथ यहां 'टू प्लस टू' वार्ता की। ‘क्वाड’ समूह को एशिया के नाटो के रूप में वर्णित करने के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, ‘‘हम खुद को क्वाड कहते हैं और क्वाड एक ऐसा मंच है जहां चार देश अपने लाभ और दुनिया के लाभ के लिए सहयोग करने आए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि पीछे मुड़कर देखें तो नाटो जैसा शब्द शीत युद्ध वाला शब्द है। मुझे लगता है कि क्वाड भविष्य में दिखता है, यह वैश्वीकरण को दर्शाता है, यह एक साथ काम करने के लिए देशों की जरूरतों को दर्शाता है।’’ जयशंकर ने कहा कि क्वाड वर्तमान में टीके, आपूर्ति श्रृंखला, शिक्षा और कनेक्टिविटी जैसे मुद्दों पर केंद्रित है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस तरह के मुद्दों और नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) या इस तरह के किसी अन्य संगठनों के बीच कोई संबंध नहीं देखता। इसलिए मुझे लगता है कि यह जरूरी है कि गलत तरीके से प्रस्तुत न किया जाए कि वहां की वास्तविकता क्या है।’’
समान विचार व्यक्त करते हुए पायने ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और भारत के संबंधों में फिर से नई ऊर्जा आई हैं, इसलिए क्वाड जैसे छोटे समूहों और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन या आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) जैसे क्षेत्रीय मंच के जरिए काम करने का अवसर भी है। ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘क्वाड सदस्य आसियान की केंद्रीयता के हिमायती हैं, हम आसियान के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हैं। हम भारत-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण के व्यावहारिक कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
पायने ने कहा, ‘‘हम यह भी कहते हैं कि हमारे पास एक सकारात्मक और व्यावहारिक एजेंडा है। टीके, जलवायु, महत्वपूर्ण तकनीक के विषय पर काम करने के साथ महामारी के संबंध में दुनिया में गलत सूचनाओं को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।’’
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