देश की खबरें | पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना कर 28 अरब डॉलर तक पहुंचाएंगे भारत और कतर

नयी दिल्ली, 18 फरवरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्माद अल-सानी के बीच मंगलवार को व्यापक वार्ता हुई। इस दौरान दोनों देशों ने अगले पांच साल में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना कर 28 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता जताई और संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक ले जाने की घोषणा की।

यहां मोदी और अमीर की मौजूदगी में दोनों पक्षों ने दो समझौतों पर हस्ताक्षर भी किये। पहला समझौता रणनीतिक साझेदारी कायम करने को लेकर जबकि दूसरा संशोधित दोहरे कराधान से बचने को लेकर है।

दोनों पक्षों ने आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने, अभिलेखागार के प्रबंधन और युवा मामलों और खेल जैसे क्षेत्रों में संबंधों को प्रगाढ़ बढ़ाने के लिए पांच सहमति पत्रों (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए।

विदेश मंत्रालय के सचिव अरुण कुमार चटर्जी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘रणनीतिक साझेदारी समझौता द्विपक्षीय संबंधों की वर्तमान स्थिति को रणनीतिक स्तर तक बढ़ाएगा। हम व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा के साथ ही क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग बढ़ाना चाहते हैं।’’

एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि रणनीतिक साझेदारी समझौता सभी तरह के द्विपक्षीय संबंधों पर लागू होगा।

सचिव ने कहा, "निश्चित रूप से, भविष्य में सहयोग के लिए एक रोड मैप तैयार किया जाएगा और फिर दोनों पक्ष रणनीतिक साझेदारी समझौते को लागू करने की दिशा में काम करेंगे। सुरक्षा संबंधी मुद्दे एजेंडे में शामिल होने पर निश्चित रूप से रणनीतिक साझेदारी समझौते के तहत चर्चा की जाएगी।"

विदेश मंत्रालय ने कहा कि मोदी और अमीर ने व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और लोगों से लोगों के संबंधों पर चर्चा की।

चटर्जी ने कहा कि मोदी और कतर के अमीर ने अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 14 अरब डॉलर से दोगुना करके 28 अरब डॉलर करने का लक्ष्य भी तय किया है।

पिछले साल मोदी की कतर यात्रा के दौरान भारत ने खाड़ी देश से एलएनजी आयात को 20 साल यानी 2048 तक बढ़ाने के लिए 78 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

उन्होंने आपसी हित के "क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों" पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।

चटर्जी से पूछा गया कि क्या पश्चिम एशिया के हालत पर चर्चा हुई तो उन्होंने कहा, “पश्चिम एशिया की स्थिति की स्थिति पर भी चर्चा हुई। दोनों पक्षों ने इजराइल-हमास मुद्दे पर एक दूसरे को अपने रुख से अवगत कराया। दोनों नेताओं ने उस पर चर्चा की।”

उनसे यह भी पूछा गया कि रणनीतिक साझेदारी में क्या शामिल होगा और क्या रक्षा सहयोग भी इसका हिस्सा होने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, ''इस समय हम किसी भी तरह के रक्षा संबंधी सहयोग के बारे में बात नहीं कर रहे।''

इससे पहले दिन में, कतर के अमीर को राष्ट्रपति भवन में औपचारिक ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनकी अगवानी की। इस मौके पर मोदी भी मौजूद थे।

अमीर सोमवार शाम को यहां पहुंचे, उनकी यह यात्रा फरवरी 2024 में मोदी की खाड़ी देश की यात्रा के लगभग एक साल बाद हो रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार शाम को दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचकर गर्मजोशी से हाथ मिलाकर और गले लगाकर अमीर का स्वागत किया था।

भारत और कतर के बीच "ऐतिहासिक व्यापार और लोगों से लोगों के संबंधों पर आधारित गहरे मैत्रीपूर्ण संबंध” हैं।

दोनों देशों ने 2023 में राजनयिक संबंधों की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया था। चटर्जी ने कहा कि अमीर के साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी है, जिसमें कतर के प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल सानी, वाणिज्य एवं उद्योग, ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, श्रम और विदेश व्यापार राज्य मंत्री शामिल हैं।

बाद में शाम को अमीर ने राष्ट्रपति मुर्मू के साथ बैठक की। इसके बाद वह अमीर और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल के सम्मान में एक भोज का आयोजन भी करेंगी।

कतर भारत में निवेश के लिए भी एक महत्वपूर्ण भागीदार है।

चटर्जी ने कहा, "दोनों नेताओं ने आज कई क्षेत्रों पर बात की जिनमें कतर निवेश प्राधिकरण निवेश बढ़ा सकता है। इसमें बुनियादी ढांचा, बंदरगाह, पोत निर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा, स्मार्ट सिटी, फूड पार्क, स्टार्ट-अप और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स और मशीन लर्निंग जैसी नई प्रौद्योगिकियां शामिल हैं।"

साथ ही, मंगलवार को एक संयुक्त व्यापार सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें दोनों देशों के शीर्ष उद्योगपतियों, कंपनियों और संस्थानों ने सार्थक बातचीत की।

चटर्जी ने कहा, "कतर भारत के लिए एलएनजी का एक प्रमुख स्रोत है। दोनों नेताओं ने आज कहा कि फरवरी 2024 में, कतर एनर्जी और पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड ने 2028 से शुरू होने वाले 20 वर्षों के लिए कतर से भारत को प्रति वर्ष 75 लाख मीट्रिक टन एलएनजी की आपूर्ति के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।"

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