कुवैत सिटी, 22 दिसंबर भारत और कुवैत ने रविवार को अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया और रक्षा सहयोग के लिए एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की खाड़ी देश के अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा और अन्य शीर्ष नेताओं के साथ व्यापक वार्ता के बाद हुआ।
मोदी ने अमीर के अलावा समग्र द्विपक्षीय संबंधों को नयी गति देने पर ध्यान केंद्रित करते हुए कुवैती प्रधानमंत्री अहमद अब्दुल्ला अल-अहमद अल-सबा और युवराज (क्राउन प्रिंस) सबा अल-खालिद अल-हमद अल-मुबारक अल-सबा के साथ व्यापक बातचीत की।
दोनों पक्षों ने चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें रक्षा पर समझौता ज्ञापन (एमओयू) भी शामिल है। अन्य समझौतों में खेल, संस्कृति और सौर ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग शामिल है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों प्रधानमंत्रियों ने प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में व्यापार, निवेश, ऊर्जा, रक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और दोनों देशों की जनता के बीच संबंधों सहित विभिन्न क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए एक रोडमैप पर चर्चा की।
विदेश मंत्रालय में सचिव (प्रवासी भारतीय मामले) अरुण कुमार चटर्जी ने संवाददाताओं से कहा कि रक्षा संबंधी समझौता ज्ञापन (एमओयू) रक्षा उद्योगों, रक्षा उपकरणों की आपूर्ति, संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण, कर्मियों और विशेषज्ञों की सेवा के आदान-प्रदान और अनुसंधान एवं विकास में सहयोग के क्षेत्रों में सहयोग प्रदान करेगा।
मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में कुवैती समकक्ष के साथ अपनी वार्ता को ‘लाभदायक’ बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी बातचीत में भारत-कुवैत संबंधों के पूर्ण आयाम पर चर्चा हुई, जिसमें व्यापार, वाणिज्य, दोनों देशों की जनता के स्तर पर संबंध आदि शामिल थे। महत्वपूर्ण सहमति पत्रों और समझौतों का भी आदान-प्रदान हुआ, जिससे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिलेगी।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने कुवैती निवेश प्राधिकरण और अन्य हितधारकों के एक प्रतिनिधिमंडल को ऊर्जा, रक्षा, चिकित्सा उपकरण, फार्मा और खाद्य पार्क आदि क्षेत्रों में नए अवसरों की तलाश के लिए भारत आने का निमंत्रण भी दिया।
मोदी शनिवार को दो दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंचे, जो 43 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की इस खाड़ी देश की पहली यात्रा है।
बैठकों में, भारतीय पक्ष ने खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) की कुवैत की अध्यक्षता के माध्यम से प्रभावशाली समूह के साथ अपने सहयोग को तेज करने में भी गहरी रुचि दिखाई।
मोदी और अमीर ने बायन पैलेस में हुई अपनी चर्चा में सूचना प्रौद्योगिकी, औषधि, फिनटेक, बुनियादी ढांचे और सुरक्षा क्षेत्र में संबंधों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया।
मोदी ने कुवैत में दस लाख से अधिक भारतीयों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए अमीर को धन्यवाद दिया, जबकि कुवैती नेता ने खाड़ी देश की विकास यात्रा में समुदाय के योगदान की सराहना की।
मोदी ने ‘एक्स’ पर एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘‘कुवैत के महामहिम अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल सबा के साथ शानदार बैठक हुई। हमने औषधि, आईटी, सेहत, बुनियादी ढांचे और सुरक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों के अनुरूप, हमने अपनी साझेदारी को रणनीतिक स्तर तक बढ़ाया है और मुझे आशा है कि आने वाले समय में हमारी मित्रता और भी अधिक प्रगाढ़ होगी।’’
चटर्जी ने कहा कि भारतीय पक्ष को भरोसा है कि ‘‘प्रधानमंत्री की यह ऐतिहासिक यात्रा भारत और कुवैत के बीच संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करेगी।’’उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष सहयोग के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान करने में सफल रहे हैं और दोनों पक्ष उन्हें पूरा करने के लिए काम करेंगे।
विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कुवैत भारतीय फार्मास्यूटिकल क्षेत्र के साथ गहन सहयोग के लिए बहुत उत्सुक है और वह भारत में निवेश पर भी विचार कर सकता है।
युवराज अल-मुबारक अल-सबा के साथ बैठक में मोदी ने कहा कि भारत कुवैत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को अत्यंत महत्व देता है।
मोदी ने कहा, ‘‘बैठक में हमारे देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा हुई। हम आने वाले समय में भारत-कुवैत रणनीतिक साझेदारी के सफलता की नई ऊंचाइयों को छूने को लेकर बेहद आशावादी हैं।’’
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर दोनों पक्षों के बीच घनिष्ठ समन्वय पर भी जोर दिया।
इसमें कहा गया, ‘‘प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया कि कुवैत की अध्यक्षता में भारत-जीसीसी संबंध और मजबूत होंगे।’’
कुवैत के युवराज ने मोदी के सम्मान में भोज का आयोजन किया।
प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में दोनों प्रधानमंत्रियों ने हाल ही में संयुक्त सहयोग आयोग (जेसीसी) पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया।
जेसीसी के अंतर्गत स्वास्थ्य, जनशक्ति और हाइड्रोकार्बन पर मौजूदा संयुक्त कार्य समूहों के अतिरिक्त व्यापार, निवेश, शिक्षा, प्रौद्योगिकी, कृषि, सुरक्षा और संस्कृति के क्षेत्रों में नए संयुक्त कार्य समूहों की स्थापना की गई है।
दोनों देशों के बीच एक समझौता ज्ञापन सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम पर तथा दूसरा समझौता ज्ञापन खेल के क्षेत्र में सहयोग से संबंधित है। चौथा समझौता ज्ञापन कुवैत के अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने पर एक रोडमैप को लेकर है।
इससे पहले दिन में मोदी का बायन पैलेस में औपचारिक स्वागत किया गया और कुवैती प्रधानमंत्री ने उनकी अगवानी की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री और अमीर के बीच बातचीत भारत-कुवैत संबंधों को ‘‘नयी ऊंचाइयों’’ पर ले जाने के तरीके तलाशने पर केंद्रित रही।
अपनी चर्चाओं में, मोदी और कुवैती अमीर ने दोनों देशों के बीच मजबूत ऐतिहासिक एवं मैत्रीपूर्ण संबंधों को याद किया तथा द्विपक्षीय सहयोग को और अधिक विस्तारित एवं गहरा करने के लिए अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
मंत्रालय के मुताबिक, मोदी ने कुवैत द्वारा उसके ‘विजन 2035’ को पूरा करने के लिए की जा रही नयी पहल की सराहना की और इस महीने की शुरुआत में खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए अमीर को बधाई दी।
जीसीसी एक प्रभावशाली समूह है, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, सऊदी अरब, ओमान, कतर और कुवैत शामिल हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में जीसीसी देशों के साथ भारत का कुल व्यापार 184.46 अरब अमेरिकी डॉलर का था।
मोदी ने शनिवार को ‘अरेबियन गल्फ कप’ के उद्घाटन समारोह में ‘विशिष्ट अतिथि’ के रूप में उन्हें आमंत्रित करने के लिए भी आभार व्यक्त किया।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अमीर ने मोदी की भावनाओं का सम्मान करते हुए कुवैत एवं खाड़ी क्षेत्र में एक मूल्यवान भागीदार के रूप में भारत की भूमिका की सराहना की।
बयान में कहा गया कि कुवैती नेता कुवैत के ‘विजन 2035’ को साकार करने की दिशा में भारत की ओर से बड़ी भूमिका और योगदान की आशा करते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अमीर को भारत आने का निमंत्रण भी दिया।
खाड़ी देश भारत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2023-24 में 10.47 अरब अमेरिकी डॉलर का रहा।
कुवैत, भारत का छठा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को तीन प्रतिशत तक पूरा करता है।
भारतीय निर्यात कुवैत में पहली बार दो अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जबकि भारत में कुवैत निवेश प्राधिकरण का निवेश 10 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया।
इससे पहले 1981 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कुवैत की यात्रा की थी। भारतीय समुदाय कुवैत में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है।
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