वाशिंगटन, 23 सितंबर अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन ने कहा कि नियमों पर आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत एवं अमेरिका के मजबूत साझे हित हैं, जहां चीन समेत कोई भी किसी को धमकाए नहीं।
उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका बेहतर भविष्य के लिए क्षेत्र को निश्चित ही आकार दे सकते हैं।
बाइडेन ने चुनाव प्रचार के लिए चंदा एकत्र करने के मकसद से भारतीय अमेरिकियों के लिए आयोजित एक डिजिटल कार्यक्रम में कहा, ‘‘नियमों पर आधारित ऐसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और भारत के मजबूत साझे हित हैं, जहां चीन समेत कोई भी देश अपने पड़ोसियों को डराता-धमकाता नहीं हो।’’
इस कार्यक्रम में 268 लोग शामिल हुए।
बाइडेन ने आरोप लगाया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प चीन के लिए ऐसे समय में जगह बना रहे हैं, जब वह हिंद प्रशांत में अपने पड़ोसियों और अमेरिकी नेतृत्व को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने पूर्व सर्जन डॉ. विवेक मूर्ति के साथ संवाद के दौरान कहा, ‘‘हम बेहतर भविष्य के लिए हिंद-प्रशांत की व्यवस्था को निश्चित ही आकार दे सकते हैं। हम इसे दुरुस्त कर सकते हैं। यह चुनाव हमारा भविष्य तय करेगा।’’
बाइडेन ने पहले अमेरिकी सांसद और फिर देश के उपराष्ट्रपति के रूप में भारत के साथ अपने पुराने संबंधों एवं कई दशकों में किए अपने कार्य का जिक्र करते हुए कहा कि उनका प्रशासन दोनों देशों के संबंधों को महत्व देना जारी रखेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘यह तस्वीर खिंचाने या हाथ मिलाने का अवसर खोजने का समय नहीं, बल्कि चीजें करके दिखाने की बात है।’’
बाइडेन ने कहा कि उन्होंने 15 साल पहले रिपब्लिकन पार्टी के सांसद रिचर्ड लुगर के साथ सीनेट विदेश संबंध समिति का नेतृत्व किया था और ऐतिहासिक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते को मंजूरी दी था।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कहा था कि भारत और अमेरिका जब निकट मित्र बनेंगे, तो दुनिया अधिक सुरक्षित होगी। उपराष्ट्रपति के रूप में सात साल पहले मैंने मुंबई में एक कारोबारी से कहा था कि अमेरिका और भारत की साझीदारी 21वीं सदी में महत्वपूर्ण संबंध साबित होगी।’’
बाइडेन ने कहा, ‘‘मैं यह अब नहीं कह रहा, मैंने तब यह कहा था और मैं वाकई ऐसा ही मानता हूं।’’
उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रपति के तौर पर भी इस पर भरोसा करना जारी रखेंगे।
पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि ऐसा हो।’’
बाइडेन ने कहा कि वह क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ भारतीयों के साथ खड़े रहने, भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने, दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक स्वास्थ्य जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने की बात लंबे समय से करते आए हैं।
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