नयी दिल्ली, 26 अप्रैल देश में 2013 की तुलना में 2020 में नक्सली हिंसा की घटनाओं में 41 प्रतिशत और मौतों में 54 प्रतिशत की कमी आई है। इस तरह की घटनाओं को काफी हद तक सीमित कर दिया गया है और माओवादी हिंसा की 88 प्रतिशत घटनाएं केवल 30 जिलों में सामने आई हैं।
गृह मंत्रालय की 2020-21 के लिए वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2013 में 10 राज्यों के 76 जिलों के 328 पुलिस थानों की तुलना में 2020 में नौ राज्यों के 53 जिलों के 226 पुलिस थानों से नक्सली हिंसा की सूचना मिली थी।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘पिछले छह वर्ष में वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) हिंसा में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। वर्ष 2011 में शुरू हुई गिरावट का सिलसिला 2020 में भी जारी रहा।’’
गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘2013 की तुलना में 2020 में हिंसक घटनाओं में कुल 41 प्रतिशत की कमी आई और यह संख्या 1,136 से घटकर 665 रह गई जबकि एलडब्ल्यूई से संबंधित मौतों में 54 प्रतिशत की कमी आई और यह संख्या 397 से घटकर 183 रह गई।’’
रिपोर्ट के अनुसार 2020 में, 315 घटनाओं और 111 लोगों की मौत के साथ छत्तीसगढ़ सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्य बना रहा। इसके बाद झारखंड (199 घटनाएं और 39 मौत), ओडिशा (50 घटनाएं और 9 मौत), महाराष्ट्र (30 घटनाएं और 8 मौत) और बिहार में 26 घटनाएं और मौत के आठ मामले सामने आये हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वामपंथी उग्रवाद परिदृश्य में समग्र सुधार का श्रेय वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में सुरक्षा बलों की अधिक उपस्थिति और बढ़ती हुई क्षमता, बेहतर संचालन रणनीति और प्रभावित क्षेत्रों में विकास योजनाओं की बेहतर निगरानी को दिया जा सकता है।
गृह मंत्रालय ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद की हिंसा का भौगोलिक प्रसार भी काफी कम हो रहा है और हिंसा का दायरा काफी हद तक सीमित हो गया है।
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