प्रयागराज में स्कूली बच्चों के बीच गैंगवार से बढ़ी बमबाजी की घटनाएं

प्रयागराज में शरारती प्रवृत्ति के स्कूली बच्चों में हीरो बनकर दूसरे बच्चों पर रौब जमाने की वजह से पिछले कुछ महीनों में बमबाजी की घटनाओं में तेजी आई है. अलग अलग स्कूलों के इन बच्चों ने सोशल मीडिया पर अपना- अपना गिरोह बनाया है. पुलिस ने यह बात कही.

यूपी पुलिस (Photo: PTI)

प्रयागराज (उप्र), 28 जुलाई : प्रयागराज में शरारती प्रवृत्ति के स्कूली बच्चों में हीरो बनकर दूसरे बच्चों पर रौब जमाने की वजह से पिछले कुछ महीनों में बमबाजी की घटनाओं में तेजी आई है. अलग अलग स्कूलों के इन बच्चों ने सोशल मीडिया पर अपना- अपना गिरोह बनाया है. पुलिस ने यह बात कही. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेश पांडेय ने कहा कि बमबाजी की घटनाओं के पीछे का उद्देश्य अपने अपने गिरोह का वर्चस्व स्थापित करना है. उनके मुताबिक ये बच्चे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का गलत ढंग से इस्तेमाल कर रहे हैं और देसी बम बनाने के लिए यूट्यूब और अन्य चैनलों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि ये बच्चे इंस्टाग्राम और फेसबुक पर ग्रुप बनाकर उस पर वीडियो शेयर कर रहे हैं और दूसरों समूहों पर अपना वर्चस्व स्थापित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसलिए स्कूल जाने वाले बच्चों के माता पिता से अपील है कि वे अपने बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें जिससे इन्हें अपराध की दुनिया में जाने से बचाया जा सके. पांडेय ने बताया कि बमबाजी की घटनाएं करने वाले छात्रों ने इमोर्टल, तांडव और माया नाम से ग्रुप बनाया हुआ है. हाल ही में पुलिस ने बमबाजी की घटनाओं में शामिल 10 नाबालिग सहित 11 छात्रों को हिरासत में लिया. उल्लेखनीय है कि इन छात्रों द्वारा गत 15 जुलाई को महर्षि पतंजलि विद्या मंदिर पर आपसी विवाद के बाद बमबाजी की गई थी. इसके अगले ही दिन 16 जुलाई को पतंजलि ऋषिकुल विद्यालय के बाहर बम फोड़कर दहशत फैलाई गई. इसके बाद छात्र 22 जुलाई को बीएचएस के गेट के सामने बम फेंककर भाग गए. यह भी पढ़ें : भाजपा युवा नेता हत्या मामला : केंद्रीय मंत्री शोभा करांदलजे ने एनआईए जांच की मांग की

नगर के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता बाबा अभय अवस्थी ने प्रयागराज में बमबाजी के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 1971 में नक्सलवादी आंदोलन में फरार राजू नक्सलाइट ने प्रयागराज में लोगों को बम बनाना सिखाया. उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे बम बनाने की विधा इस नगर में फैलती रही और धीरे धीरे यह शरारती स्कूली बच्चों में फैल गई. उनके अनुसार सन् 1971 से पहले यहां चाकूबाजी चलती थी, लेकिन बमबाजी से बदमाश अपराध जगत में हीरो बन जाते हैं. अवस्थी ने बताया कि बम बनाने में गंधक, पोटाश और मेंसल का उपयोग किया जाता है और ये सामग्री बड़ी आसानी से उपलब्ध है.

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