ताजा खबरें | रास में सरकार पर लगाया गया किसानों की आय दोगुना करने का वादा पूरा न करने का आरोप

नयी दिल्ली, दस अगस्त सरकार पर किसानों की आमदनी दोगुना करने का वादा पूरा न करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को राज्यसभा में न्यूनतम साझा मूल्य व्यवस्था की लिखित में गारंटी देने तथा स्वामीनाथ आयोग की सिफारिशें लागू करने की मांग की गई। वहीं सरकार की ओर से कहा गया कि तीनों नए कृषि कानून किसानों के कल्याण के लिए ही लाए गए हैं और इन्हें विभिन्न समितियों की सिफारिशों और विशेषज्ञों से विचारविमर्श कर तैयार किया गया है।

उच्च सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद जब दोपहर दो बजे शुरू हुई तो पेगासस जासूसी विवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों का हंगामा पुन: शुरू हो गया। पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने हंगामे के बीच ही ‘‘देश में कृषि से संबंधित समस्याओं और उनके समाधान’’ पर अल्पकालिक चर्चा शुरू कराई।

चर्चा आरंभ करते हुए भाजपा के विजयपाल सिंह तोमर ने कहा कि जो लोग किसानों के हितों की बात करते हैं, किसानों को बर्बाद भी उन्होंने ही किया है। उन्होंने कहा ‘‘पिछले करीब 70 साल के दौरान देश में अधिकतर समय तक कांग्रेस ने शासन किया लेकिन किसानों को न तो सिंचाई के साधन दिए गए, न भंडारण की व्यवस्था की गई और न ही किसानों की समस्याएं हल की गईं। उनके दस साल का कृषि बजट वर्तमान सरकार के एक साल के कृषि बजट से भी कम था। ’’

तोमर ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और इसीलिए तीनों कृषि कानून लाए गए हैं ताकि किसानों की समस्याएं दूर हों और उनकी हालत सुधरे। उन्होंने कहा कि तीनों कानून अलग अलग समितियों की सिफारिशों के आधार पर बने हैं और इनके लिए विशेषज्ञों की राय भी ली गई थी। उन्होंने कहा कि तीनों कानून किसानों के पक्ष में, उनके हित में हैं।

उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह किसानों के कंधे पर रख कर बंदूक चलाना चाहता है।

बीजू जनता दल (बीजद) के प्रसन्न आचार्य ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा ‘‘हंगामे के बावजूद मैं किसानों के मुद्दे पर बोलने का अवसर नहीं छोड़ना चाहता क्योंकि ऐसा करना उनके साथ अन्याय होगा। इस देश की बड़ी आबादी किसानों की है जो अब तक बुनियादी सुविधाओं से वंचित रही है। सरकार उनके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए कई कदम भी उठाए गए हैं। लेकिन उनकी समस्याओं का हल नहीं निकला।’’

उन्होंने कहा कि सीमांत किसानों की अपनी समस्याएं हैं। कई किसानों के पास अपनी जमीन नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में कई क्षेत्रों में मंदी का असर देखने को मिला है लेकिन कृषि क्षेत्र में उत्पादन लगातार बढ़ा है। उन्होंने किसान सम्मान निधि की राशि बढ़ाने तथा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने की मांग की।

तीनों कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए आचार्य ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की लिखित में गारंटी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा ‘‘आपने किसानों की आमदनी दोगुना करने का वादा किया था लेकिन यह वादा पूरा नहीं हुआ।’’

इसी बीच, विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की बैठक पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने दो बज कर 17 मिनट पर पंद्रह मिनट के लिए स्थगित कर दी। पंद्रह मिनट बाद पीठासीन अध्यक्ष ने हंगामे के चलते बैठक आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी। आधे घंटे बाद यानी दोपहर करीब तीन बजे बैठक जब फिर शुरू हुई तो विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने घोषणा की कि उपसभापति ने विभिन्न दलों के नेताओं को विचारविमर्श के लिए अपने कक्ष में आमंत्रित किया है। इसके बाद उन्होंने बैठक को एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया।

इससे पहले, कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि उन्होंने 23 जुलाई को तीनों कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का नोटिस दिया था लेकिन उनका नाम आज की कार्यसूची में सूचीबद्ध ‘‘देश में कृषि से संबंधित समस्याओं और उनके समाधान’’ पर अल्पकालिक चर्चा के लिए डाल दिया गया। उन्होंने पूछा ‘‘मेरे ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का क्या हुआ ?’’

रमेश ने कहा कि नियम के अनुसार, इस तरह का बदलाव करने से पहले, सदन की भावना जानना चाहिए लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया गया।

संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ लेकिन अगर जरूरी है तो सदन की भावना जान लें। तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने कहा ‘‘अभी सदन की भावना जान लीजिये।’’

रमेश ने कहा ‘‘तीन दिसंबर 2015 को आसन ने व्यवस्था देते हुए कहा था कि ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को सदन की भावना जानने के बाद उसकी सहमति से अल्पकालिक चर्चा में बदला जा सकता है। यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ और सदन की भावना जाने बगैर सब कुछ एकपक्षीय तरीके से किया गया। यह मुझे स्वीकार नहीं है।’’

पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने कहा कि यह निर्णय आसन का है और वह इसमें नहीं जाना चाहते। इसके बाद उन्होंने अल्पकालिक चर्चा शुरू करने के लिए विजयपाल सिंह तोमर का नाम पुकारा।

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